उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की रफ्तार धीमी, मुसलमानों में बेचैनी।
शहर काजी मुफ्ती अजहर ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण तिथि बढ़ाने की मांग।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर।
उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि करीब आते ही मुसलमानों में बेचैनी बढ़ गई है। वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली परेशान हैं। शहर में करीब 964 वक्फ संपत्तियां सुन्नी संप्रदाय की और करीब 3 शिया संप्रदाय की हैं। जिनका पंजीकरण उम्मीद पोर्टल पर होना है लेकिन अब तक करीब पच्चीस प्रतिशत संपत्तियों का ही पंजीकरण उम्मीद पोर्टल पर हो पाया है। वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड जुटा पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है।
इन्हीं सब समस्यों के बीच शहर काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण तिथि बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में दर्ज संपत्तियों का पंजीकरण पांच दिसंबर तक उम्मीद पोर्टल पर कराया जाना अनिवार्य है लेकिन अब तक जनपद की पचास प्रतिशत वक्फ संपत्तियों का भी पंजीकरण नहीं हो पाया है। आखिरी तिथि नजदीक आते ही वक्फ संपत्ति के मुतवल्लियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। दशकों पुराने कागजात इकट्ठा करने में मुतवल्लियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जिससे वह अब तक संपत्ति का पंजीकरण कराने में नाकाम रहे हैं। पंजीकरण प्रक्रिया जटिल होने के कारण भी इसमें काफी समय लग रहा है। लिहाजा पंजीकरण तिथि बढ़ाई जाना न्याय संगत है।
उन्होंने कहा कि कई लोगों को तो जानकारी ही नहीं है कि किस तरह से वक्फ संपत्ति का पंजीकरण कराना है। इस संबंध में न तो लोगों को जागरूक किया गया और न ही कोई कैंप लगाकर उन्हें ट्रेनिंग दी गई है। पोर्टल पर पंजीकरण के समय जिन दस्तावेजों को मांग की जा रही है वह अधिकतर के पास मौजूद नहीं है क्योंकि दशकों पहले संपत्ति वक्फ की गई थीं। वक्फ बोर्ड को खुद आगे आकर संपत्तियों के कागजात उपलब्ध कराने चाहिए।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने भारत सरकार से मांग की है कि उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए ताकी अधिक लोग इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से जुड़ सकें और अपनी वक्फ संपत्तियों को पंजीकृत करा सकें। इस प्रक्रिया में लोगों को पर्याप्त समय दिया जाए तो देशभर की अधिकतर संपत्तियों को सुरक्षित रूप से पंजीकृत किया जा सकता है।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि जल्द से जल्द 'उम्मीद पोर्टल' पर अपनी मस्जिदों, इमामबाड़ों, कब्रिस्तानों, दरगाहों और अन्य वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण कराएं, यह बेहद आवश्यक है। ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों में कई ऐसी वक्फ संपत्तियां हैं जो अभी तक बोर्ड में दर्ज नहीं हैं और स्थानीय समितियों द्वारा संचालित की जा रही हैं। ऐसे में इन संस्थाओं के जिम्मेदार लोगों को वक्फ बोर्ड से संपर्क कर अपनी संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर दर्ज कराएं। वक्फ संपत्तियों का सही और समय पर रजिस्ट्रेशन करवाना सबकी जिम्मेदारी है।
समाजसेवी आसिफ महमूद ने वक्फ जायदाद उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण का प्रक्रिया आसान की जाए। ग्रामीण और छोटे कस्बों में अगर मस्जिदें, इमामबाड़े, कब्रिस्तान या दरगाहें वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं हैं, तो उन्हें उम्मीद पोर्टल पर जरूर दर्ज कराएं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग डिजिटल प्रक्रिया से परिचित नहीं हैं। कई लोगों को कंप्यूटर चलाने, पोर्टल खोलने या ऑनलाइन फॉर्म भरने का अनुभव नहीं है। वह लगातार कोशिश कर रहे हैं लेकिन समय बेहद कम है।
एडवोकेट तौहीद जे. अहमद ने कहा कि इस समय मुतवल्ली दस्तावेज जुटाने के लिए तहसील और वक्फ बोर्ड समेत अन्य प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। आंकड़ों के अनुसार शहर में करीब एक हजार वक्फ संपत्तियां हैं जिनका पंजीकरण उम्मीद पोर्टल पर होना है लेकिन अब तक करीब पच्चीस प्रतिशत संपत्तियों का ही रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर हो पाया है। कई संपत्तियों के मुतवल्लियों की वर्षों पहले मृत्यु हो चुकी है जिससे इन संपत्तियों के रिकॉर्ड जुटा पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है।
एडवोकेट मुहम्मद राफे ने कहा कि पंजीकरण के समय मुतवल्लियों से कई तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जिसमें वक्फ नामा, खसरा-खतौनी, नक्शा प्रमुख है। कई संपत्तियों के रिकॉर्ड लोकल स्तर पर मौजूद ही नहीं हैं ऐसे में संबंधित लोग लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। कई लोगों के पास वक्फ संपत्ति नंबर नहीं हैं जिससे दस्तावेज भी नहीं मिल पा रहे हैं। पोर्टल की वेबसाइट भी धीमी गति से चल रही है। लोगों को पंजीकरण कराते समय काफी इंतजार करना पड़ रहा है। कई मुतवल्लियों को जानकारी का अभाव है। वक्फ नामा, नक्शा, दफा 37 की रिपोर्ट जैसे दस्तावेज न होने के चलते भी दुश्वारी आ रही है। पोर्टल पर आ रही तकनीकी दिक्कतों के चलते फॉर्म भरने में परेशानी आ रही है। ऐसे में उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की समय सीमा को बढ़ाना न्याय संगत एवं अति आवश्यक प्रतीत होता है।
समाजसेवी मुहम्मद आजम ने कहा कि पंजीकरण करते समय पोर्टल पर संपत्ति की सभी दिशाओं से नाप-जोख का लेखा-जोखा मांगा गया है। साथ ही संपत्ति के वक्फ होने के भी दस्तावेज मांगे गए हैं चूंकि संपत्ति सैकड़ों वर्ष पुरानी है इसलिए दस्तावेज जुटाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए ताकि लोग वक्फ संपत्ति का पंजीकरण कर सकें।
6 जून को लॉन्च हुआ था उम्मीद पोर्टल।
केंद्र ने यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) पोर्टल 6 जून को लॉन्च किया था ताकि सभी वक्फ संपत्तियों के डिजिटल दस्तावेज तैयार करके उनकी जियो टैगिंग की जा सके। उम्मीद पोर्टल के अनुसार, भारत में सभी पंजीकृत वक्फ संपत्तियों का विवरण अनिवार्य रूप से छह महीने के अंदर अपलोड करना है। जिसकी अंतिम तिथि 5 दिसंबर 2025 है।