हजरत अबू बकर की जिंदगी पर डाली गई रौशनी।
जामिया अल इस्लाह एकेडमी में दीनी बाल संगोष्ठी।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
जामिया अल इस्लाह एकेडमी नौरंगाबाद में मासिक दीनी बाल संगोष्ठी हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कर नात-ए-पाक पेश की गई।
मुख्य वक्ता शिक्षक कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि हजरत अबू बकर रदियल्लाहु अन्हु पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सबसे करीबी साथी, ससुर और पहले खलीफा हैं। आप चारों पवित्र खलीफाओं में सबसे अग्रणी हैं। आपका नाम अब्दुल्लाह था, लेकिन आप अबू बकर के नाम से जाने जाते हैं। सिद्दीक (सच्चा) की उपाधि उन्हें सत्य के प्रति उनकी दृढ़ता के कारण मिली। आप सफल और सम्मानित व्यापारी थे। अपने अच्छे आचरण और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। हजरत अबू बकर उन शुरुआती लोगों में से थे जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया था। आप पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सबसे वफादार, सलाहकार और भरोसेमंद साथी थे। पैगंबर-ए-इस्लाम के विसाल के बाद आपको मुसलमानों का पहला खलीफा चुना गया। आप नबियों व पैगंबरों के बाद इंसानों में सबसे अफजल हैं। आप खिलाफत व इमामत दोनों में अव्वल हैं।
उन्होंने कहा कि अपने शासनकाल के दौरान आपने झूठे नबियों और बागी कबीलों के खिलाफ युद्ध लड़ा। आपने इस्लामी साम्राज्य को एकजुट किया और अरब प्रायद्वीप से परे विस्तार की नींव रखी। खलीफा बनने के बाद भी, आप अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते थे और लोगों के छोटे-मोटे काम करने में भी मदद करते थे। अपने कम अवधि के कार्यकाल में आपने इस्लामी राज्य को स्थिरता प्रदान की और इस्लाम के संदेश को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वरिष्ठ शिक्षक मुजफ्फर हसनैन रूमी ने बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में शांति व भाईचारगी की दुआ मांगी गई। संगोष्ठी में वरिष्ठ शिक्षक आसिफ महमूद, अली अहमद, आयशा खातून, शीरीन आसिफ, सना खातून, सैयदा यासमीन, आरजू अर्जुमंद, गुल अफ्शा, अदीबा, फरहीन, मंतशा, सना, आफरीन, नाजिया खातून, फरहत, यासमीन अख्तर, आयशा, तानिया अख्तर सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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