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धार्मिक / Jun 04, 2025

तकबीरे तशरीक पढ़ना वाजिब है, शुक्रवार से पढ़ी जाएगी - कारी अनस

ईद-उल-अजहा : सेवईंयों का बाजार सज कर तैयार।

अरफा के दिन रोजा रखने की बहुत फजीलत है।

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

ईद-उल-अजहा त्योहार शनिवार सात जून को है। उर्दू बाजार, नखास चौक, घंटाघर, जाफरा बाजार, गोरखनाथ आदि जगहों पर सेवईंयों का बाजार सज चुका है। जहां मोटी, बारीक, लच्छेदार के साथ कई वैराइटीज की सेवईंयां मौजूद हैं, जो गुणवत्ता और अपने नाम के मुताबिक डिमांड में है। बाहर व आसपास के इलाकों से लोग खरीदारी करने शहर आ रहे हैं।

उर्दू बाज़ार स्थित ताज सेवईं सेंटर के मुहम्मद कैस व मुहम्मद आरिफ ने बताया कि उनके यहां छड़ व सादी सेवईं, छत्ते वाली सेवईं, किमामी सेवईं, बनारसी, भुनी सेवईं, लाल लच्छा, सफेद लच्छा, बनारसी लच्छा, सूतफेनी, रूमाली, दूध फेनी आदि बिक रही है। इस समय सबसे ज्यादा मांग में बनारसी किमामी सेवईं है, जो हाथों हाथ खरीदी जा रही है। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा में सेवईं की खूब बिक्री होती है। वहीं कुर्बानी के लिए तमाम रंग व नस्ल के बकरे बाजार में बिक रहे हैं।

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मुहम्मद अनस रजवी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में कुर्बानी देना वाजिब है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार छह जून को फज्र की नमाज से लेकर हर फर्ज नमाज के बाद तकबीरे तशरीक बुलंद आवाज से पढ़ी जाएगी। जिसका सिलसिला मंगलवार 10 जून की असर की नमाज तक जारी रहेगा। जमात से जो नमाज अदा की जाएगी उसमें ही तकबीरे तशरीक पढ़ी जाएगी। नौवीं जिलहिज्जा के फज्र से तेरहवीं के असर तक हर फर्ज नमाज के बाद सभी नमाजियों को एक मर्तबा तकबीरे तशरीक ‘‘अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द’ बुलंद आवाज से पढ़ना वाजिब है और तीन बार अफजल है। अरफा (9 जिलहिज्जा) के दिन रोजा रखने की बहुत फजीलत हदीस शरीफ में आई है। अरफा इस बार शुक्रवार 6 जून को पड़ रहा है।

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में दो खास ईद है ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा के दिन रोजा रखना हराम है क्योंकि यह दिन मेहमान नवाजी का है। यह हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जिसे अल्लाह ने इस उम्मत के लिए बाकी रखा। साफ-सफाई अल्लाह तआला को पसंद हैं इसका हर मुसलमान को खास ख्याल रखना चाहिए। कुर्बानी का फोटो व वीडियो न बनाएं और न ही अपने कुर्बानी के जानवर की नुमाइश करें। खास जानवर को खास दिनों में कुर्बानी की नियत से जिब्ह करने को कुर्बानी कहते हैं। जिनके यहां कुर्बानी न हुई हो उनके घर सबसे पहले गोश्त भेजवाएं। जिन पर कुर्बानी वाजिब है वह कुर्बानी जरूर कराएं।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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