बेतिया राज की 15 हजार एकड़ भूमि बिहार सरकार की होगी।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार
बेतिया राज की15 हजार एकड़ से ज्यादा भूमि पर अब बिहार सरकार का कब्जा होगा। इस संबंध में बिहार विधानमंडल में विधेयक पेश किया गया जो ध्वनि मत से पास हो गया है।बिल पेश करने के पहले राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री, दिलीप जायसवाल ने बड़ी घोषणा की,उन्होंने कहा कि बेतिया राज की संपत्ति में यूपी और बिहार में 15 हजार 358 एकड़ 60 डिसमिल133 वर्ग जमीन है।यूपी के गोरखपुर, बस्ती,महाराजगंज,बनारस, इलाहाबाद,कुशीनगर मिर्जापुर में बेतिया राज की जमीनें हैं। इन जमीनों पर बड़े स्तर पर भू माफियाओं के साथ ही अतिक्रमणकारियों का कब्जा है,अब बिल पास होने पर ऐसे लोगों से जमीन मुक्ति कराने में राज्य सरकार सफल होगी।उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस संपत्ति का प्रबंधन,बिहार सरकार के राजस्व बोर्ड के ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ द्वारा किया जाता है,यह अंग्रेजों के समय से हो रहा है।बेतिया राज की अंतिम रानी को कोई संतान नहीं थी,जिसके बाद अंग्रेजों ने उनकी जमीनों को ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के तहत लाया,लेकिन बाद में वर्षों में बड़े स्तर पर कई लोगों ने जमीनों पर बड़े स्तर पर भू माफियाओं और अतिक्रमणकारियों की मदद से कब्जा कर लिया। ऐसी जमीनों को अब बिहार सरकार मुक्त कराने के लिए यह बिल लाया है, उन्होंने आगे कहा कि इस बिल के पास होने के बाद जिन लोगों ने भी बेतिया राज की जमीनों परअपने कब्जे को लेकर कोर्ट में केस दायर कर रखा है,वे मामले भी स्वतःखत्म हो जाएंगे बेतिया राज की जमीनों को लेकर कोई भी मामला अब कोर्ट में नहीं जा पायेगा। भू माफियाओं के साथ साथ अतिक्रमणकारियों से जमीनों को मुक्त कराकर उस पर मेडिकल कॉलेज,इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ-साथ कई और बिल्डिंग बनाई जाएगी बेतिया राज की जमीनों पर रिहायसी बसावट वाले क्षेत्र हैं, उनके लिए राहत भरा ऐलान करते हुए जायसवाल ने कहा कि उन्हें अपने दावे को पेश करने के लिए समाहर्ता के न्यायालय में सुनवाई हेतु जाना होगा,जो दो महीने के भीतर हो जायेगा,वहीं पूरी प्रक्रिया को राजस्व पर्षद द्वारा निपटाया जायेगा।राजस्व पर्षद के प्रमुख,केके पाठक भी मामलों को देखेंगे।पिछले साल 13 दिसंबर तक राजस्व बोर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार,पश्चिमी चंपारण जिले में ‘बेतिया एस्टेट’ की कुल भूमि में से 6,505 एकड़ (लगभग 66 प्रतिशत) पर अतिक्रमण किया गया है, पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ या लगभग 60 प्रतिशत भूमि पर अतिक्रमण हुआ है,जिसका लेखा-जोखा सरकार के पास मौजूद है।