मोहर्रम का पर्व शांतिपूर्ण ढंग से समापन की ओर अग्रसर
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम का होता है, यह महीना बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। बहुत सारे मानने वाले इस महीने को गम का महीना कहते हैं लेकिन बहुत सारे मुस्लिम समुदाय के लोग इसको खुशी का महीना भी कहते हैं।अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार लोग इस महीने में इबादत की ओर ज्यादा झुके रहते हैं, यह महीना में 10 दिन का बहुत ही पाक माना जाता है। नवमी और दसवीं मोहर्रम को लोग नयाज फातिहा करते हैं,रोजा रखते हैं,इबादत करते हैं। 10वीं मोहरम को लोग योमें आशूरा के नाम से जानते हैं।
इस दिन शिया समाज के लोग
नोहा,मातम,जलसा करते हैं, सीना पीटते से है,जुलूस निकालते हैं।सुननी समुदाय के लोग ऐसा तो नहीं करते हैं मगर झंडा,ताजिया,सीपड़, अखाड़ा निकलते हैं,इसमें विभिन्न प्रकार के कर्तव्य दिखाते हैं,तलवारबाजी,डंडा बाजी,गतकापुडी खेलते हैं।
इस वर्ष जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की कडाई के बाद,सभी मोहल्ले के लोग अपने-अपने मोहल्लों के चौकों परअखाड़ा निकालकर विभिन्न प्रकार के कर्तव्य करके खेलते हैं,सार्वजनिक जगहों परअखाड़ा निकालना की मनाही की गई थी,शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगअपने-अपने गांव के चौक पर खेल कर रहे हैं अपने-अपने कर्तव्य का दिखावा कर रहे हैं। विशेष कर युवा वर्ग अपने-अपने सर पर कालापट्टी और हरापट्टी बांधकर लाठी,डंडा,तलवार निजा सेअपना कला दिखा रहे हैं।हजारों की संख्या में लोग तमाशा देखकरआनंद उठा रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी अपने लाठी भांज कर अपने कर्तव्य को दिखा रहे हैं।
इसआनंदमई प्रदर्शन में लोग नारे भी लगा रहे हैं।अल्लाह हू अकबर,नारे तकबीरअल्लाह हू अकबर,जिंदाबाद,इस्लाम जिंदाबाद,कतले हुसैनअसल में मार्गे यजीद है,इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।
इस नारा से पूरा शहर गुंजमांन हो गया है।शहरी क्षेत्र में सभी चौक चौराहा पर मोहर्रम का अखाड़ा,ताजिया,जुलूस,झंडा तलवार,डांडा लेकर मुस्लिम समुदाय युवा,नौजवान,किशोर
छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में हरा रंग का झंडा,सर पर हरे रंग की पट्टी,हाथ में काला रंग का पट्टी बंधे हुएअपने-अपना कर्तव्य को दिखा रहे हैं।
शहर के सभी चौक चौराहा पर हजारों की संख्या में लोग खड़े होकर इसका आनंद उठा रहे हैं। मुस्लिम समुदाय के तरफ से सभी चौक चौराहा पर पानी और शरबत का इंतजाम किया गया है ताकि खिलाड़ियों,कर्तव्य दिखाने वाले युवा वर्ग को प्यास लगने पर पानी और शरबत दिया जा सके। कई स्थानों पर मेडिकल कैंप भी लगाए गए हैं,यहां किसी तरह की घटना होने, चोट लगने,जख्म होने,खून बहने पर उसका इलाज किया जा सके। जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की चाक चौबंद व्यवस्था होने से किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने की सूचना समाचार लिखे जाने तक प्राप्त नहीं है।
सभी चौक चौराहा,पूजा स्थलों मंदिरों,मस्जिदों के पास मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात किए गए हैं,पुलिस की व्यवस्था को देखकर गड़बड़ी करने वाले,अखाड़ा में कूदने वाले,असामाजिक तत्वों का होश उड़ गया है। मोहर्रम केअखाड़ा में सभी लोगों का सहयोग मिल रहा है,सभी लोगअपने-अपने तौर पर मना रहे हैं।अखाड़ा के दौरान कर्तव्य देखने के लिए सभी लोगअपने मकान के छात् पर खड़े होकर इस नजारा का लाभ उठा रहे हैं।मुस्लिम समुदाय के अलावा भी अन्य धर्म के लोग बड़ी श्रद्धा से इस पर्व पर भरोसा कर मनाते हैं,
इन लोगों की श्रद्धा भी इमाम हुसैन,हसन हुसैन पर रहता है।
यह पर्व त्याग,बलिदान, मानवता,सद्भाव का पर्व माना जाता है।यह पर्व सच्चाई का द्योतक है। हजरत इमाम हुसैन नेअपने सर को कलम करवा दिया,मगर झूठ के सामने सर नहीं झुकाया,जालिम बादशाह यजीद के सामने सर नहीं झुकाया,और शहीद हो गए।
मुस्लिम समुदाय के लिए एक
मिशाल पेश कर गए कि झूठ के सामने,दगाबाज बादशाह, जालिम हुकूमत के सामने,सर नहीं झुकना है,इस्लाम जिंदा होता है,हर कर्बला के बाद।