साइबर अपराधी नए-नए तरीके से कर रहे हैं ठगी, पुलिस का नियंत्रण नहीं।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया,पश्चिमी चंपारण, बिहार।
इन दिनों साइबर अपराधियों का बोलबाला चल रहा है,वह नित्यदिन विभिन्न नए-नए तरीके अपना कर साइबर ठगी का काम कर रहे हैं,भोली भाली जनता इसका शिकार हो रहे हैं,इसमें विशेष कर अनपढ़ महिलाएं और युवक/युवतियां शामिल हैं।इन लोगों से झांसा देकर ऑनलाइन, ऑफलाइन दोनों तरीके से साइबर अपराधी का बड़े पैमाने पर ठगने का काम जारी है। जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इनका जाल फैला हुआ है।ऑनलाइन खरीदारी,भारी भरकम राशि का इनाम का लालच देकर,लौटी में इनाम का बहाना बताकर उनका ओटीपी मंगाकर उनके बैंक खाते से पूरी रकम को निकाल लिया जाता है।प्रतिदिन साइबर अपराधी नया-नया तरीका ईजाद करके साइबर ठगी का काम कर रहे हैं,जो प्रतिदिन लाखों की ठगी हो रही है,इस संबंध में 4 महीने के अंदर में लगभग 95 मामले दर्ज किया जा चुके हैं,साइबर ठगी को रोकने हेतु थाने में साइबर सेल खुलने के बाद भी इस तरह की घटना कम होने का नाम नहीं ले रही है।साइबर ठगी में 70% मामले बैंकिंग,वित्तीय फ्रॉड के हैं,इसके बाद 15% तक साइबर ठगी के मामले राजय के अलावा साइबर अपराधी के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ठगी का काम किया जा रहा है।इस साइबर ठगी के मामले में आम लोग के बाद पुलिस महक के बड़े-बड़े अफसर, केंद्रीय मंत्रियों के संबंधी,राज्य मंत्रियों के संबंधी,देश तो देश विदेश के भी महिला दोस्ती के माध्यम से ठगी जा रही है। राज्य स्तर के साइबर थाने में भी तीन माह में साइबर क्राइम से जुड़े 280 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है,यह आंकड़ा सिर्फ साइबर थाने के हैं। स्थानीय थाने में भी 3 महीने में 250 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं अगर औसत निकाला जाए तो जिले में हर रोज 10 से 15 लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। साइबर ठगी करने वालों की संपर्क तीन राज्य में है,जिसमें हरियाणा के हिसार,पश्चिम बंगाल,गुजरात में मुख्य रूप से साइबर फ्रॉड वालों का कनेक्शन बना रहता है। इन लोगों के द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जीरो बैलेंस के नाम पर खाता खुलवाने, आधार कार्ड बनवाने,केवाईसी अपडेट कराने,राशन कार्ड बनवाने,वृद्धा पेंशन दिलवाने, नरेगा एवं मनरेगा में खाता खुलवाने, नौकरी दिलवाने का बहाना बनाकर इन लोगों से आधार कार्ड,पैन कार्ड,वोटर आईडी कार्ड,बैंक खाता नंबर लेकर उनके खाते से राशि के निकासी कर ली जा रही है, जिससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्र के महिलाएं ज्यादा प्रभावित हो रही है।