सनातन का न आदि है न अन्त पहले भी था और भविष्य में भी रहेगा:- स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती
रिपोर्ट - धनंजय शर्मा
बेल्थरारोड (बलिया), उत्तर प्रदेश।
वाराणसी से पधारे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महराज ने यहां कहा कि भारत 21वीं सदी में दुनिया का नेतृत्व करें, जिसे हमारे पूर्वजों, महापुरुषों ने सजाया था। बीते वह 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की स्थापना का कार्य सम्पन्न हुआ। इस मौके पर देश के 6 लाख 32 हजार गावों में राममय दीवाली का वातावरण निर्मित हुआ। भगवान श्रीराम का दशरथ के यहां सृजन नही हो रहा था, यदि राजा दशरथ यज्ञ नही करते तो जहां राम पैदा नही होते। विश्वामित्र यज्ञ नही करते तो भगवान श्रीराम से विश्व व्यापी असुर लंका का अंत नही होता। इस लिए यज्ञ, आतंकबाद के विनाशक का जहां आधार है, वहीं गृहवासी, बनवासी, आदिवासियों को समरत्व के लिए भी एक सूत्र में जोड़ने का आधार है।
यहां सर्वेश्वर मानस मंदिर चौकियां मोड़ के तत्वावधान में चल रही पंच कुण्डीय अद्वैत शिव शक्ति महायज्ञ एवं हनुमान महोत्सव के छठवें दिन शनिवार को अपने प्रबचन में आगे कहा कि भारत के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के कहने पर अरब में भी भगवान मंदिर का निर्माण हुआ, जहां पूजा के लिए लाईने लगती हैं। 248 प्रतिमाए ज्ञानवापी में प्रतिष्ठापित हैं। वहां शिवलिंग को तोड़ने वाले, तोड़ नही पाये। हिन्दू मस्जिद का विरोधी होता तो 2 लाख 62 हजार भारत में मस्जिदे नही होता। 28 लाख 992 मंदिर हिन्दुओं के तोड़ दिये गये, किंतु हिन्दू सनातनी शांति से साल्ब करता रहा।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महराज ने आगे कहा कि सनातन का न आदि है न अंत है। पहले भी था और भविष्य में भी रहेगा। उन्होने कहा कि सनातन के देवी देवताओं में अस्त्र शस्त्र है। कर्नाटक में एक विधर्मी द्वारा एक युवती को बुरी तरह चाकूओं से गोद कर रक्तपात किया गया। उन्होने सनातनी भाईयों से अपनी-अपनी बेटियों को ऐसे हालातो में जबाबी कार्यवाही करने की सलाह दी।
कहा कि पुराणें में कहा गया है कि बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय। हिरणाकश्यप व प्रह्लाद की कथा कह कर भगवान के न्याय करने की चर्चा की। माताएं नवरात्रि में देवी की पूजा, बसन्त पंचमी में सरस्वती की पूजा व दीवाली में लक्ष्मी की पूजा करेगी। और जब बेटी गर्भ में आ जायेगी तो अल्ट्रासाउण्ड कराकर वेे जन्म ही नही लेना देना चाहती और उसका गला काटना चाहती हैं। जब देवताओं का पराभव हो गया। कहा कि इस अद्वैत शिव शक्ति यज्ञ में सभी को संकल्प लेना है कि न भ्रूण हत्या न करेगें और न नसबन्दी करायेगें। माता पिता का जो तिरस्कार करता है वह कभी किसी परीक्षा में पास नही होता। अन्तरजातीय विवाह को सामाजिक अभिशाप बताया और कहा कि इसके लिए मैरिज एक्ट में संसोधन होना चाहिए। चाहे सामाजिक स्तर हो, या कोर्ट द्वारा विवाह पंजीकृत हो, जब तक दोनो पक्ष के माता पिता की सहमति नही होती है तब तक वह मैरेज विधि सम्मत की मान्यता नही होना चाहिए। हमारी एकता का आधार यज्ञ है, देश द्रोहिया के अंत का आधार भी यज्ञ है। उन्होने ईश्वरदास मौनी बाबा को बताया कि सैकड़ो यज्ञ किया है, जिसका लाभ देश को मिल रहा है। उन्होने इंग्लैण्ड में लोक तत्र की स्थापना पर जोर दिया। भारत में अपराधी को जेल में बिरयानी मुर्गा खिलाया जाता है। इनके लिए त्वरित कठोर सजा देने का नियम होना चाहिए। इसके लिए 90 दिनों के अन्दर न्याय की प्रक्रिया बननी चाहिए। न्याय में हो रही देरी पर भारत के जजों के ऊपर महाभियोग चलाने की वकालत की। भारत में मंदिरों का सरकारीकरण हो रहा है तो मस्जिदों व चर्चो का भी सरकारीकरण किये जाने पर जोर दिया।
भारत के अन्य उत्पादों का मूल्य निर्धारित करने की जब छूट है तो किसानों को अपने ऊपजाउ फसल, शब्जी उत्पादन का मूल्य तय करना चाहिए। जिस दिन ऐसा हो गया किसान आत्म हत्या की घटना बन्द हो जायेगी।
उन्होने देश के अन्दर इण्टर तक की कक्षाओं में समान शिक्षा किये जाने पर बल दिया। कहा कि भारत दुनिया का सिरमौर्य होगा। सनातनी हो या मस्लिम, ईसाई हो सभी के लिए एक समान नागरिक संहित लागू होनी सामाजिक समरसता के लिए जरुरी है। वर्ष 1972 में एक को 4-4 बच्चे तो किसी को केवल दो बच्चे का कानून बना दिया जाता है। इसमें सुधार होनी चाहिए।
अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां मठ के परिवज्रकाचार्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी ने समयाभाव के कारण अल्प समय में कहा कि यह यज्ञ, जल यात्रा से प्रारम्भ होकर हुई है। जो चल रही है। हम अपने धर्म के प्रति जागरुक रहे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा। हम अपने धर्म का कभी परित्याग नही करेगें, हम हिन्दू हैं और हिन्दू रहेगें। दुर्गा हो, काली हो सरस्वती हो। तुम सब कुछ हो। इससे परमात्मा की शरण में जाने पर शांति मिलती है। ऐसा प्रयास सभी करना चाहिए।
पं. प्रवीण कृष्ण जी महाराज ने भगवान के मनमोहक कीर्तन कराकर सभी का मन मोह लिया। सभी श्रोता भजन पर झूम उठे।
अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां मठ के परिवज्रकाचार्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी ने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महराज को अभिवादन पत्र सौंपा।
वाराणसी से पधारे आरती के विद्ववत अनुज कुमार ओझा, मधुसूदन मिश्रा व नितिन मिश्रा ने भब्य गंगा आरती को सम्पन्न किया। इसके पश्चात गुरु आरती, प्रसाद वितरण के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ। फिर देर रात्रि तक महाप्रसाद ग्रहण करने के बाद कथा श्रोता अपने-अपने घरों को रवाना हुए। यश्र मण्डप की परिक्रमा नर-नारियों द्वारा अपने बच्चों संग नित्य प्रातः व शाम को किया जा रहा है। पूरा यश्र मण्डप भक्तिमय बन चुका है।