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धार्मिक / Jul 18, 2023

स्वेच्छा से आहार का त्याग ही सिद्धि का मार्ग है - साध्वी निखिल शीला

श्रीमार परिवार में तपस्या की बहार - तपस्वियों की निकली जयकार यात्रा।

नन्ही अवधि ने की 16 उपवास की दीर्घ तपस्या संघ ने किया बहुमान।

पवन नाहर

थांदला, झबुआ, मध्य प्रदेश।

जैन धर्म में तपस्या का बड़ा महत्व है यह कर्म निर्जरा व मोक्ष मार्ग का हेतु है। वर्षा के समय संत सतियों के स्थिरता कल्प चातुर्मास को तपस्या के अनुकूल काल माना जाता है, जिसमें अनेक भव्य आत्मा तपस्या कर आध्यात्मिकता का आनंद लेते है। ऐसे में थांदला नगर में बुद्धपुत्र पूज्य प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा - 4 के पावन सानिध्य में तप का ठाठ लगा हुआ है। अपने दुसरें मासक्षमण के लक्ष्य को लेकर जहाँ सपना प्रदीप व्होरा ने 17 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये वही श्रीमार परिवार में नन्ही परी अवधि राकेश श्रीमार ने 16 उपवास की दीर्घ तपस्या पूर्ण की। श्रीमार परिवार में आशा देवी का 12वाँ वर्षीतप चल रहा है वही सुरजमलजी श्रीमार व बाबूलाल श्रीमार दोनों भाई ने भी अपनी पोती का साथ देकर 10 उपवास की तपस्या पूर्ण की मंजुला श्रीमार निरंतर एकासन तप की आराधना चल रही है वही परिवार की बेटी प्रीति धोका भी मेघनगर अणुवत्स पूज्य श्री संयतमुनिजी म.सा. के सानिध्य में मासक्षमण की दीर्घ आराधना कर रही है। श्रीमार परिवार में ही मनोरमा बहन व कमल भाई - पचोला, सुरभि बहन - चोला, अंतिम बहन, साक्षी बहन, माधुरी बहन व सीमा बहन नवकार तप की आराधना कर रही है। इस अवसर पर उनके निवास स्थान से गुरुभगवंतों के जयकारें व जय जयकार - तपस्वी की जय जयकार, जय हो तप की - तपस्वी की जय हो जैसे नारों के साथ सभी तपस्वियों की जयकार यात्रा निकाली गई जो नगर के मुख्य मार्ग से होती हुई स्थानीय पौषध भवन पर गुणानुवाद सभा में परिवर्तित हो गई जहाँ विराजित साध्वी निखिलशीलाजी म.सा. ने अवधि सहित समस्त तपस्वियों के तप के लिए मंगल कामना व्यक्त करते हुए कहा कि इस जीव ने परवशता में अनेक भव में आहार को छोड़ा है लेकिन अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखकर एक दिन भी आहार छोड़ना कठिन होता है ऐसे में सभी अनुकूल भोग सुविधाओं को त्याग कर स्वेच्छा से आहार छोड़नें से सिद्धि को प्राप्त होता है। श्रीमार परिवार हमेशा से तपस्या में आगे रहा है परिवार में अन्य तपस्वियों ने वर्षीतप, मासक्षमण व अन्य दीर्घ तपस्या करके तप का माहौल बना दिया है ऐसे में नन्ही अवधि ने भी उच्च भावों के साथ 16 उपवास की दीर्घ तपस्या कर अपने कुल व जिन शासन का गौरव बढ़ाया है। आप जिनशासन गौरव पूज्य गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी म.सा. "अणु" द्वारा रचित मोक्ष पुरुषार्थ पर प्रवचनमाला चलाते हुए आज प्रथम बोल मोक्ष की अभिलाषा रखे तो जीव वेगों वेगों मोक्ष में जाये पर अपना चिंतन फरमाया। पूज्याश्री ने आज श्रमण संघ के द्वितीय पट्टधर आचार्य श्री आनन्दऋषिजी म.सा. की जन्म जयंती होनें से उनके जीवन से जुड़े प्रेरणादायक पावन प्रसंग सुनाकर उन्हें भी याद किया। इस अवसर पर पूज्या श्री प्रियशीलाजी म.सा. ने भगवान महावीरस्वामी का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान जानते थे वे तीर्थंकर है मोक्ष जाने वालें है फिर भी उन्होंनें साढ़े बारह वर्षों तक दीर्घ तप की आराधना की और भव्य जीवों को मोक्ष मार्ग के लिए सम्यक तप का मार्ग बताया। पूज्याश्री ने कहा कि अनेक भवों के संचित कर्मों का समूल नाश करने के लिए तप ही महत्वपूर्ण साधन है। सम्यक तप की आराधना से जीव शीघ्र मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। पूज्याश्री उपन्यास की तरह सारगर्भित सरल शब्दावली में सामायिक के महत्व पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए सामयिक के दोषों को बताते हुए निर्दोष सामयिक करने की प्रेरणा दे रही है। यहाँ विराजित तपस्वी पूज्याश्री दीप्तिजी म.सा. के भी 7 उपवास की तपस्या गतिमान है।

तपस्या का बहुमान तपस्या से

श्रीसंघ द्वारा 8 व इससे ऊपर के सभी दीर्घ तपस्वियों का बहुमान

तपस्या की बोली लगाकर करता है ऐसे में मेघा बाठिया ने 11 उपवास, सुरभि श्रीमार व पिंकी रुनवाल ने 9 उपवास की बोली लगाकर क्रमशः अवधि, सूरजमल व बाबूलाल आदि तपस्वियों  का बहुमान किया इस अवसर पर डाली बहन चोपड़ा के पूर्व में 8 उपवास की तपस्या पूर्णाहुति का भी बहुमान किया गया वही घोड़ावत परिवार, गादिया परिवार व भंसाली परिवार द्वारा भी संयुक्त रूप से सभी तपस्वियों का बहुमान किया गया। श्रीसंघ कि ओर से संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, राष्ट्रीय कवि चिंतन जैन, सुरभि श्रीमार व रूपल श्रीमार ने तप अनुमोदना में अपने भाव व्यक्त किये। संघ द्वारा तेले व आयम्बिल की लड़ी भी चलाई जा रही है वही अनेक तपस्वी विभिन्न तपस्या के माध्यम से आपन आत्मलक्ष्य साध रहे है।

सभा का संचालन संघ के सचिव प्रदीप गादिया ने किया उक्त जानकारी संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने दी।

संघ में इनकी रही गरिमामय उपस्थिति

धर्म सभा में श्रीसंघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत, वरिष्ठ श्रावक नगीनलाल शाहजी, बाबूलाल छाजेड़, नानालाल श्रीमाल, बुध्दिलाल कांकरिया, माणकलाल लोढ़ा, पूर्वाध्यक्ष प्रकाशचन्द्र घोड़ावत, रमेशचंद्र चौधरी, महेश व्होरा, भरत भंसाली, कनकमल घोड़ावत, रजनीकांत शाहजी, रजनीकांत लोढ़ा, दिलीप शाहजी, रमेशचंद्र श्रीश्रीमाल, राजेन्द्र रुनवाल, उमेश चौधरी, नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, हितेश शाहजी, हेमंत श्रीश्रीमाल, पारस कुमठ, राकेश श्रीमार, पवन नाहर, अमित शाहजी, अजय सेठिया, अखिलेश श्रीश्रीमाल, चर्चिल गंग, संदीप शाहजी आदि अनेक श्रावक श्राविका उपस्थित रहे।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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