वसीला के जरिए दुआ मांगना जायज है - हाफिज रहमत अली
इस्लामी बहनों की विशेष कार्यशाला का चौथा सप्ताह
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
इस्लामी बहनों के लिए जामिया अल इस्लाह एकेडमी नौरंगाबाद व मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में चालीस हदीसों की विशेष कार्यशाला के चौथे सप्ताह में वसीला के बारे में बताया गया।
मुख्य वक्ता हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि वसीला (साधन) के जरिए दुआ मांगना जायज है। जिसमें अल्लाह के अच्छे नामों और सिफात (अस्मा-ए-हुस्ना) का वसीला देना, नबियों और नेक लोगों के सदके दुआ करना या अल्लाह की इबादत और अच्छे कर्मों का वसीला देना शामिल है। यह एक जायज वसीला है जिसके द्वारा आप अल्लाह से अपनी दुआएं कबूल करवाने के लिए मदद मांग सकते हैं। आप अल्लाह से दुआ करते समय नबियों और नेक लोगों (जैसे पैगंबरों और वलियों) के सदके और उनके वसीले से दुआ कर सकते हैं। आप अपने अच्छे कामों और इबादतों का वसीला भी दे सकते हैं। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर अमन व शांति की दुआ मांगी गई। कार्यशाला में वरिष्ठ शिक्षक आसिफ महमूद,
नौशीन फातिमा, शबनम, नूर सबा, शीरीन आसिफ, शीरीन सिराज, अफसाना, शिफा खातून, फिजा खातून, सना फातिमा, असगरी खातून, यासमीन, आयशा, फरहत, नाजिया, तानिया, अख्तरून निसा, अलीशा खातून, सादिया नूर, खुशी नूर मंतशा, रूमी, शीरीन बानो, समीना बानो, सना फातिमा, शबाना, सिदरा, सानिया, उम्मे ऐमन, अकलीमा वारसी सहित तमाम लोगों ने शिरकत की।
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