नबी व रसूल इंसानों को जिंदगी जीने का तरीका बताते हैं - अनस नक्शबंदी
चालीस हदीसों की कार्यशाला का चौथा सप्ताह।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार में इस्लामी भाईयों के लिए चालीस हदीसों की विशेष कार्यशाला के चौथे सप्ताह में वसीला, रसूलों के जिस्म और नबियों व रसूलों के इख्तियार के बारे में प्रकाश डाला गया।
मुख्य वक्ता कारी मुहम्मद अनस नक्शबंदी ने कहा कि नबियों और रसूलों का इख्तियार अल्लाह द्वारा इंसानों के मार्गदर्शन के लिए प्रदान किया गया एक दिव्य अधिकार है। जिसका मुख्य उद्देश्य अल्लाह का संदेश लोगों तक पहुंचाना, उन्हें सीधा रास्ता दिखाना और समाज को बुराई से रोकना है। नबी व रसूल इंसानों को नैतिक और धार्मिक जीवन जीने का तरीका बताते हैं। उम्मतियों पर नबी और रसूल की आज्ञाकारिता अनिवार्य है। नबियों और रसूलों के इख्तियार अल्लाह द्वारा दिए गए हैं ताकि वह इंसानियत के लिए अल्लाह के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर इंसानों का मार्गदर्शन करें।
संचालन करते हुए हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि अल्लाह ने जमीन के लिए नबियों के शरीरों को खाना हराम कर दिया है, जिससे उनके जिस्म सुरक्षित रहते हैं। हदीस में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि अल्लाह ने जमीन को नबियों के शरीरों को नष्ट करने से मना किया है। नबी अपनी कब्रों में एक विशेष प्रकार का जीवन जीते हैं। वह वहां नमाज पढ़ते हैं और जब कोई उन पर दरूद या सलाम भेजता है, तो वह उसका जवाब भी देते हैं। शरीरों का यह संरक्षण अल्लाह की ओर से नबियों के लिए एक विशेष सम्मान है, जो उनके उच्च दर्जे को दर्शाता है।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर एकता व भाईचारे की दुआ मांगी गई। कार्यशाला में मुजफ्फर हसनैन रूमी, नेहाल अहमद, आसिफ महमूद, आसिफ, शहबाज सिद्दीकी, ताबिश सिद्दीकी, शीराज सिद्दीकी, महबूब आलम, मुहम्मद आजम, सैयद नदीम अहमद सहित तमाम लोग मौजूद रहे।