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Mon, 07 Jul 2025 12:21 PM
धार्मिक / Apr 02, 2024

रोजेदारों ने अल्लाह की इबादत कर मांगी दुआ।

सैय्यद फरहान अहमद 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

21वां रोज़ा मुकम्मल हो गया। अब रोज़ा थोड़ा लंबा होता जा रहा है। माह-ए-रमज़ान का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का चल रहा है। हर तरफ नूरानी समा है। मस्जिदों व घरों में इबादत जारी है। रोजेदारों की इबादतों में कोई कमी नहीं है। एतिकाफ करने वाले इबादत में मश्गूल हैं। रोजेदार इबादत कर पूरी दुनिया में अमनो शांति की दुआ मांग रहे हैं।

शिक्षक मोहम्मद आज़म कहते हैं कि सामान्यत: अन्य महीनों में और खास तौर पर रमज़ान माह में फ़क़ीर, ग़रीब, यतीम व अन्य मोहताज मांगने वालों को न झिड़कें। खास तौर से मदरसा के प्रतिनिधियों के साथ मेहरबानी और अच्छा सुलूक करें। उन हजरात का अहसान है कि रमज़ान में भूखे प्यासे रह कर मालदारों के माल की जकात लेकर माल पाक करने का रास्ता निकालते हैं। अगर मौका मिले तो उनको इफ्तार और खाने में शरीक करें और सवाब हासिल करें। 

शिक्षक नवेद आलम ने बताया कि पाक कुरआन कहता है कि तुम वह बेहतरीन उम्मत हो, जिसे लोगों के लिए बनाया गया है। तुम्हारा काम है कि तुम लोगों को नेकी का हुक्म दो, बुराई से रोको, अल्लाह पर यकीन रखो। रोज़े में अल्लाह का खौफ, उसकी वफादारी, इताअत, मोहब्बत तथा सब्र का जज़्बा हमें इंसानियत और इंसानी दर्द को पहचानने की सीख देता है। 


Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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