प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका की 19वीं वर्षगांठ पर विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह सम्पन्न
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
आज हिंदी मासिक पत्रिका 'प्रबुद्ध विमर्श' के तत्वावधान में 19वीं वर्षगांठ पर एक भव्य विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन स्थान- डॉ.अम्बेडकर पार्क, हड़हवा फाटक रोड- गोरखपुर में किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता पत्रिका के संरक्षक हरि शरण गौतम ने किया एवं मुख्य अतिथि शिवचंद्र राम, पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक, मंच का संचालन प्रदीप विक्रांत ने किया।
इस विचार गोष्ठी के अवसर पर इन्होंने बताया कि राजेश कुमार बौद्ध की पत्रकारिता की शुरुआत निष्पक्ष निडरता और साहस से परिपूर्ण था। जहां बहुत सी पत्रिकाएं समर्पण, लगन और अर्थाभाव के कारण बंद हो गईं वहीं विषम परिस्थितियों में भी इन्होंने पत्रिका की कमान संभाला। राजेश कुमार बौद्ध को राजनीति में भी जाने के लिए सुअवसर मिला पर इन्होंने सामाजिक सेवा के लिए पत्रकारिता का चयन किया।
इस अवसर पर रामचंद्र प्रसाद त्यागी ने कहा-'अंधकार है वहां जहां आदित्य नहीं है, मुर्दा है वह देश जहां साहित्य नहीं है।' इन्होंने पत्रकारिता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा जब पत्रकारिता अन्याय के साथ खड़ी हो जाए तो पत्रकारिता का क्या मोल रह जाएगा? अम्बेडकरवादी मिशन को आगे बढ़ाने में मिशन गायकों की भी भूमिका को रेखांकित किया। इन्होंने यह भी बताया कि आज संगीत और साहित्य समाज को जगाने के लिए तत्पर हैं फिर भी दलितों पर अत्याचार खत्म क्यों नहीं हो रहा है? आखिर इसका दोषी कौन है?
इस सुअवसर पर प्रसिद्ध गज़लकार ओम प्रकाश गौतम ने कहा- फूस के घर में रह चिंगारी ढूंढ रहे हैं। अपनी डाल की खातिर आरी ढूंढ़ रहे हैं। जाने कैसी नस्लें आई हैं गौतम, खुद के बुजुर्गों में गद्दारी ढूंढ़ रहे हैं।।
इस अवसर पर बी एस एन एल गोरखपुर के महाप्रबंधक विद्यानंद ने कहा कि सवर्ण महिलाओं के साथ घटित घटनाओं को मीडिया पूरे जोश के साथ उठाती है जबकि दलित महिलाओं के साथ घटित घटनाओं को महिलाओं को ही दोषी बनाती है। इन्होंने जमीनी बात रखते हुए कहा समांज के लोग आगे आए और यूट्यूब चैनल के माध्यम से पत्रिका को और आगे बढ़ाएं। भविष्य में इस संगोष्ठी को बृहत स्तर पर मनाया जाए। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति एवं अल्पसंख्यकों को भी जोड़ा जाए।
इस अवसर पर मऊ से आए हुए सामाजिक चिंतक डॉक्टर तेजभान ने कहा कि- "पत्रकारिता में साक्ष्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जो भी लिखा जाए वह साक्ष्यों पर आधारित हो। आज कुछ दबंग और पूंजीपति मीडिया की भूमिका निश्चित कर रहे हैं। कौन सा समाचार पत्र- पत्रिकाओं में निकल जाए और कौन सा समाचार दबा दिया जाए। त्योहारों के माध्यम से अंधविश्वासों को बढ़ावा न दिया जाए। समाज में अच्छे विचारों को जिंदा रखने के लिए पत्रकारों को जागरूक रहना चाहिए।
मऊ से ही आए हुए सामाजिक चिंतक रामविलास भारती ने कहा प्रबुद्ध विमर्श के माध्यम से राजेश कुमार बौद्ध ने दलित कारवां को आगे बढ़ाया है, इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं। दलित साहित्य की जड़ बुद्ध से शुरू होती है और संत कबीर और संत रविदास को जोड़ते हुए आगे बढ़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में बंधुता भाईचारा की स्थापना बहुत दूर की बात है। हम समाज में पहले सामाजिक समानता चाहते हैं। बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने पत्रकारिता के माध्यम से दलित चेतना की शुरुआत मूकनायक पत्रिका से की, इसका जीता जागता उदाहरण था। आज के बहुजन पत्रकारों का निष्पक्ष मीडिया स्थापित करने की जिम्मेदारी एवं जरूरत भी है।
सामाजिक चिंतक प्रोफेसर कौलेश्वर प्रियदर्शी ने कहा कि- दलित चिंतक के स्थान पर सामाजिक चिंतक का प्रयोग किया जाए। प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका कभी बंद न हो इसके लिए स्थानीय लोगों का समावेश एवं सहयोग जरूरी है। ऐसा कहा जाता है कि पढ़े-लिखे लोगों ने बाबा साहब को धोखा दिया था लेकिन सच्चाई यह भी है कि पढ़े-लिखे लोगों ने ही बाबा साहब के विचारों को जमीन पर उतारा है। दलितों की लड़ाई को पीढ़ी दर पीढ़ी लड़नी पड़ेगी। हम लोग अभी पहली पीढ़ी के सामाजिक कार्यकर्ता हैं। राजेश कुमार बौद्ध से निवेदन है कि आप प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका को आजीवन चलाइए। समाज सहयोग देता रहेगा। पत्रिका के विकास के लिए सदस्यों की संख्या बढ़ाइए और सुचारू रूप से काम किया जाएं। प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका के विकास के लिए विभिन्न समुदायों के स्थानीय लोगों को भी जोड़ा जाए।
अम्बेडकरवादी जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा दलित शब्द संवैधानिक नहीं है इसके स्थान पर कोई अन्य नाम देना चाहिए। पत्र- पत्रिकाएं चौथा स्तंभ न होकर मेरे अनुसार पहला स्तंभ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण का लाभ लेने वाले लोगों की पहली जिम्मेदारी है कि अपने समाज के साथ खड़े हों। उन्होंने कहा कि संपादकों को आर्थिक सहयोग के साथ-साथ उनके पीछे खड़े होने की भी जरूरत है। दलित सामाजिक समस्याओं को सवर्ण मीडिया दबाने की कोशिश करती है। आज अगर सोशल मीडिया नहीं होती तो शायद हमारी समस्याओं का कहीं अता-पता नहीं होता।
इन्होंने इन पंक्तियों से अपना वक्तव्य समाप्त किया "तोप न करें काम तो अखबार निकालो"।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि शिव चंद्र राम ने कहा राजेश कुमार बौद्ध ने कठिन परिस्थितियों में पत्रिका को जिंदा रखा है। इसके लिए यह बधाई के पात्र हैं। पत्रकार को विपक्ष की भूमिका में हमेशा रहना चाहिए। दलित आंदोलन और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक हैं। बहिष्कृत लोगों के लिए बाबा साहब ने बहिष्कृत पत्रिका निकला था। सामाजिक राजनीतिक आंदोलन को चलाने के लिए राजेश कुमार बौद्ध जी को पत्रिका को जिंदा रखना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रिका को जिंदा रखना हमारी प्राथमिकता में आनी चाहिए। एक पंडित जी ने कहा कि अब जातिवाद कहां है? मैं तो दलित के घर भी खाना खा लेता हूं। उत्तर में यह मिला कि यहां 'भी' में ही जातिवाद है। आज ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद का समन्वय हो गया है। दोनों से जूझने और सतर्क रहने की जरूरत है। आर्थिक सहयोग नहीं मिलने का कारण है प्राथमिकताएं बदली हुई हैं किसी भी घटना का ऐतिहासिक भूमिका दलित मीडिया ही तलाशती है।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षीय भाषण में हरि शरण गौतम ने कहा कि प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका गोरखपुर की शान है। इसे हर तरह का सहयोग करने के लिए मैं आश्वासन देता हूं। हमारी बातों को सवर्ण पत्र-पत्रिका वाले छापते नहीं है, इसलिए अपनी पत्र-पत्रिकाओं का उद्भव करना और उसे जिंदा रखना अनिवार्य है। अभी तक जो साहित्य है वह हिंदू साहित्य नहीं वल्कि सवर्ण साहित्य है।
इस अवसर पर प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका को आगे बढ़ाने एवं प्रचार प्रसार के लिए विशेष सहयोग किये है उनको प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका के संपादक राजेश कुमार बौद्ध ने उन सभी लोगों का तहेदिल धन्यवाद देते हुए " प्रबुद्ध रत्न सम्मान- 2025" से सम्मानित किया गया जिसमें हरि शरण गौतम, शिव चंद्र राम, प्रोफेसर कौलेश्वर प्रियदर्शी, इंजि. लाल बिहारी, इंजि. नागेन्द्र कुमार गौतम, इंजि. ओमप्रकाश, विचंडी प्रसाद जी को मेमोंटो, प्रमाण पत्र के साथ साल देकर प्रबुद्ध रत्न सम्मान-2025 से सम्मानित किया, साथ ही मुख्यवक्ता विद्या नंद, चंद्रशेखर, डॉ. राम बिलास भारती, डॉ. तेजभान और संचालन कर रहें प्रदीप विक्रांत को स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। और वरिष्ठ कवि जालिम प्रसाद पुस्तक ऊसर में फूल का भी इस मंच से विमोचन अतिथियों के द्धारा किया गया।
इस अवसर पर ध्दारिका राम, पुरुषोत्तम कुमार, प्रताप बहादुर, डॉ. नन्द किशोर, शैलेश कुमार, सत्येन्द्र कुमार, रवि प्रकाश, राकेश कुमार, रजनीश प्रताप, सतीश चंद्र, रमेश चन्द्रा, प्रदीप चौधरी, बाबू राम, शशिकान्ता, ऊषा देवी, शिवानी, माया देवी, रिना देवी, प्रबुद्ध विमर्श पत्रिका के सह संपादक जालिम प्रसाद, बुद्धि सागर गौतम सहित तमाम लोगों की उपस्थित थी, मंच का संचालन प्रदीप विक्रांत ने किया और अन्त पत्रिका के प्रधान संपादक राजेश कुमार बौद्ध ने आये हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए सभा की समाप्ति की घोषणा की।