अपने कार्यकाल में सम्राट अशोक ने अनेक लोक कल्याणकारी कार्यों का दिया अंजाम
हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सम्राट अशोक विजयदशमी
रिपोर्ट: विनोद विरोधी
गया, बिहार
जिले के खरखुरा बैरागी मोहल्ले स्थित सम्राट अशोक बुद्ध बिहार मे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सम्राट अशोक विजयादशमी का कार्यक्रम मनाया गया।महामानव बुद्ध, प्रियदर्शी सम्राट अशोक, बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के चित्र पर उपस्थित लोगों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया lकार्यक्रम मे उपस्थित वक्ताओ मे डॉ. अश्विनी बौद्ध, अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद, यमुना कुशवाहा, देवनंदन प्रसाद, श्यामसुन्दर प्रसाद, गोविन्द कुमार, सरजू कुमार, राजेश कुमार, गौतम कुमार,भूपेन्द्र कुमार सुमन, एवं अनेक वक्ताओ ने अपने विचार रखे।
वक्ताओ ने कहा की भारत का इतिहास जो आज बच्चो को स्कूल कॉलेजो मे पढ़ाया जा रहा है। वह सच्चाई पर पर्दा डालकर बच्चो को भरमाया गया है। जो अत्यंत दुःखद और निंदनीय है।
इसी भारत को एक समय मे सोने का चिड़िया कहा जाता था और विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त था। वह समय मौर्यकाल का ही समय था। जब कई देशों से छात्र- छात्राये भारत के नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशीला, विक्रमशिला, जैसे अनेक विश्वविख्यात विश्वविद्यालय मे हजारों की संख्या मे विदेश से छात्र भारत मे पढ़ने आते थे।
यही नहीं प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान का सम्राज्य कबूल से कधार तक जब फैला था।
जब सम्राट अशोक के द्वारा कलिंग युद्ध जितने के बाद अपनी तलवार को छोड़कर मानव कल्याणकारी मुलभुत कार्यों जैसे सड़क निर्वाण, कुएं खुदवाना, अनेक पनशालाये , सड़क किनारे राहगीरों के लिए वृक्ष लगवाना, अनेको धर्मशाला वनवाना, जानवरो पशु पंछीयो के लिए भी अस्पताल खुलवाने का कार्य किये।
यही नहीं विश्वशांति के लिए अपने बेटे महेन्द्र और बेटी संघमित्रा को बुद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार के लिए श्रीलंका भेजनें का कार्य किये इनके सेवा कार्यों जैसा पुरे भारत ही नहीं , विश्व मे ऐसे राजा आज तक पैदा नहीं हुए की इनके जैसा ख्याति कोई प्राप्त किया हो।
सम्राट अशोक मरकर भी आज सदियों से इनका नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिखा पूरे विश्व मे अमर है।अन्त मे धन्यवाद ज्ञापन संस्थापक सदस्य राजेश कुमार ने दिया।