सुन्नी मर्कज़ी मदीना मस्जिद के पास "सबीले हुसैनी" भी जारी।
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के चेयरमैन व चीफ़ क़ाज़ी, हज़रत मौलाना सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी साहब की निगरानी में, 29 ज़िल्हज्जा से अब तक, सुन्नी मर्कज़ी मदीना मस्जिद के पास, "सबीले हुसैनी" का सिलसिला लगातार जारी है, जहां हर रोज़ अस्र की नमाज़ के बाद, नमाज़ियों और राहगीरों को, "सबीले हुसैनी" पिलाया जा रहा है। मज़हबी, समाजी और इंसानी पैग़ाम मोहर्रम, खेल तमाशों का नाम नहीं है बल्कि मोहब्बत, राहत और ईमानदारी से ख़िदमत का महीना है कर्बला का असल सबक़ है: “प्यासे के होंठ सूखें, यह हुसैनी कभी गवारा नहीं करते।ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने इस सबक़ को लस्सी और शर्बत की शक्ल में समाज तक पहुंचाया।
हुसैनी लस्सी के स्वास्थ्य लाभ गर्मी में शरीर की नमी बनाए रखती है। दही में मौजूद प्रीबायोटिक्स पेट को राहत देते हैं। ऊर्जा, पाचन और मानसिक ठंडक के लिए लस्सी बेहद लाभकारी है। डॉक्टर भी गर्मी में शुगर, बीपी और थकावट से, बचाव के लिए, लस्सी की सलाह देते हैं। ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की यह पहल एक मॉडल है। यह कार्यक्रम सिर्फ़ शर्बत और लस्सी बाँटना नहीं, बल्कि मज़हब की असल रूह, ख़िदमत, मोहब्बत और भाईचारे को ज़िंदा रखना है।