सुब्हानी मियां की सरपरस्ती में दरगाह पर मनाया गया यौमे रज़ा
बरेली, उत्तर प्रदेश
आज दरगाह आला हज़रत पर फ़ाज़िले बरेलवी इमाम अहमद रज़ा खां आला हज़रत का 174 वा यौमे रज़ा(यौमे पैदाइश) दरगाह सरपरस्त हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत में मनाया गया। जिसमें बरेली समेत दूर दराज से आए उलेमा,शोहरा समेत अकीदतमंदों ने शिरक़त की। देर रात सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने दरगाह पर गुलपोशी व फातिहाख्वानी की। इसके बाद सभी को दरगाह में रखें तब्बरूकात की ज़ियरत कराई। इससे पहले महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए-कुरान से किया गया। नातख्वा आसिम नूरी,मौलाना शफीक रामपुरी,मौलाना अतीक रज़ा बहेडवी ने नात और मनकबत का नज़राना पेश किया। मुफ्ती अहसन मियां ने आला हज़रत को खिराज़ पेश करते हुए कहा कि आपकी पैदाइश 1856 ईस्वी 10 शव्वाल 1272 हिजरी को बरेली में हुई। आला हज़रत को इल्म का ख़ज़ाना यो ही नहीं कहा जाता बल्कि भारत समेत अरब के उस वक्त के बड़े बड़े उलेमा ने आपको इस्लामी दुनिया में ज्ञान का सागर(इल्म का समुंदर) और सुन्नियत का स्तंभ माना है। दुनिया भर के मुसलमान आज भी आपके इल्म से फैज़ हासिल कर रहे है। आज हम लोग भी आपके मिशन को आगे बढ़ाते हुए समाज में मुख्य धारा से जुड़ने के लिए तालीम को आम करें अपने बच्चों को दीनी व दुनियावी तालीम दिलाएं। आपसी इत्तेहाद को मज़बूत करें। मौलाना जाहिद रज़ा ने अपने खिताब में कहा कि आला हज़रत ने अपनी पूरी ज़िंदगी में लाखों फ़तवे लिखे। आप कोई भी फतवा लिखने से पहले उसके बारे में पहले शोध करते उसके बाद ही कोई फतवा देते थे।
दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि आखिर में कारी सलीम रज़ा(आगरा) व मौलाना हसन रामपुरी ने फातिहा पढ़ी। खुसूसी दुआ मुफ्ती अहसन मियां ने की। इसके बाद लंगर का एहतिमाम किया गया। इस मौके पर मौलाना अबरार उल हक़,मौलाना शोइब रज़ा(हैदराबाद),मौलाना कासिम हुसैन,मौलाना चांद रज़ा, टीटीएस के परवेज नूरी,औरंगज़ेब नूरी,अजमल नूरी,शाहिद नूरी,नासिर कुरैशी,मंजूर रज़ा,मुजाहिद रज़ा,गौहर खान,नईम नूरी,तहसीन रज़ा,रफी रज़ा,गौहर खान,नफीस खान,साजिद नूरी,सुहैल रज़ा,डॉक्टर ज़फ़र खान,डॉक्टर अब्दुल माजिद आदि लोग शामिल रहें।