पतलुका पैक्स चुनाव: ससुर-पुतोह आमने-सामने लड़ रहे चुनाव
निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष शिवनंदन यादव को मिल रही कड़ी चुनौती
सभी पांचों प्रत्याशी एक ही समुदाय के
रिपोर्ट:विनोद विरोधी
गया, बिहार।
जिले के बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती पंचायत पतलुका में आगामी 9 अप्रैल 2025 को पैक्स का चुनाव हो रहा हैं। इस चुनाव में कुल पांच प्रत्याशी चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष शिवनंदन यादव के अलावे इनके ही पुत्रवधू गणिता कुमारी,राजद के प्रखंड अध्यक्ष कृष्णदेव प्रसाद यादव उर्फ केडी यादव के पुत्र प्रवीण कुमार, तीन बार अध्यक्ष रह चुके पूर्व पैक्सअध्यक्ष फुलदेव यादव एवं गयालाल कुमार का नाम शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष शिवनंदन यादव व उनके ही पुत्रवधू गणिता कुमारी आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं और एक दूसरे को शिकस्त देने के लिए एड़ी चोटी एक कर रहे हैं।वहीं इसका लाभ उठाने के लिए राजद नेता के पुत्र प्रवीण कुमार भी इसे हवा देने में डटे है। जाति स्तर पर भी देखा जाए तो सभी प्रत्याशी एक ही समुदाय के है। गौरतलब है कि निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष शिवनंदन प्रसाद यादव गत चुनाव में अपनी जीत दर्ज की थी। लेकिन विवादों में घिरे रहने व कार्यकारी सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के कारण अल्पमत में रहने के कारण पैक्स के अनेक काम बाधित भी रहे।परिणामत: वे अपनी उपलब्धि गिनाने में असमर्थ रहे है। हालांकि इस बार वे पूरे दम-खम के साथ चुनावी समर में उतरे हैं ,लेकिन प्रतिद्वंदियों के सामने मुकाबला आसान नहीं है।बता दें कि पतलुका पैक्स चुनाव में कुल 1293 मतदाता हैं इनमें करीब 150 मतदाता इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि इतने ही मतदाता के करीब इलाके से पलायन भी कर चुके हैं। अब देखना है कि इस मुकाबलों के बीच में निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष अपनी जीत पुनः बरकार रख पाते हैं अथवा नहीं? क्योंकि राजद नेता के पुत्र प्रवीण यादव एक ओर इस सीट के लिए अपना दबदबा बनाये हुए हैं ,वहीं फुलदेव यादव पूर्व में तीन बार पतलुका पैक्स का चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन मतदाताओं द्वारा इन पर परिवारवाद का बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है जिससे मतदाताओं में असंतोष भी हैं। बावजूद एक बार पुनः चुनावी अखाड़े में दम-खम के साथ डटे है। ऐसी स्थिति में बाजी कौन मारेगा कहना मुश्किल हैं? वहीं अगर मतदाताओं की माने तो साफ छवि व कर्मठ प्रतिनिधि की आवश्यकता हैं, जो मौजूदा प्रत्याशियों में कम ही दिखता हैं।