Tranding
Mon, 07 Jul 2025 09:45 AM

आइए न हमरा बिहार में,जहां सन्नाटा पसरा है बाज़ार में खुले हैं स्कूल होली त्यौहार में,किसी की भी नहीं सुनते अफसर डबल इंजन की सरकार में।

रिपोर्ट मोहम्मद आसिफ अता

बिहार एक ऐसा प्रदेश है जहां इतिहास भी शर्माने को मजबूर है।मगर शर्म उनको नहीं आती।जी हां,बिल्कुल सही समझा आपने।बिहार का शिक्षा विभाग आज अपने इतिहास को भी बदल डाला।शायद देश में यह नजीर बन जाए।जहां पूरा देश-विदेश होली का त्योहार अपने परिवार के संग रंग गुलाल के साथ मना रहा था।वहीं बिहार के लाखों शिक्षक अपने घर छोड़कर परिवार से बिछड़ कर स्कूल में पहुंच कर जिल्लत झेलने पर मजबूर हुए।शिक्षा विभाग के अधिकारी डबल इंजन की सरकार,सुशासन की ढोल पीटने वाली सरकार और न्याय के साथ विकास,सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास को लेकर एक बार फिर से 2024 में 400 से भी ज्यादा सीट लेने की बात करने वाली सरकार रहने के बावजूद देश के आपसी सौहार्द,प्रेम,भाई चारे को एक रंग में सराबोर करने वाले पर्व होली के दिन विद्यालय खोलने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया।यहां तक की शिक्षकों के पीछे विभागीय अधिकारी,कर्मी को इस तरह लगा दिया कि शिक्षक,शिक्षक नहीं जैसे कोई चोर हो जिसे पुलिस पकड़ने के लिए हाथ पैर धोकर नहीं बल्कि यह कहें कि नहा धोकर पीछे पड़ गए हो।ठीक नौ बजे ही कई विद्यालय पर फोटो खिंचने वाले शिक्षा विभाग के विभागीय कैमरा मैन पहुंच गए।न जाने शिक्षक को शिक्षा विभाग किस तरह की शिक्षक समझ रहा है।यह भी तब जब शिक्षकों की संख्या हजारों नहीं बल्कि लाखों में है।फिर भी एक अधिकारी पूरे बिहार के सिस्टम और शिक्षक को हिला कर रख दिया है।जो न तो सीएम की सुनते हैं न अपने जमीर की।सूत्र बताते हैं कि बिहार के शिक्षक को इस कदर कभी प्रताड़ित नहीं किया गया था।जैसा कि बीते वर्ष के जुलाई से अब तक किया गया।यह सब शिक्षकों के डरपोक होने,एकजुट नहीं होने के कारण हो रहा है।एक शेर बचपन से सभी लोग जरूर सुनते आ रहे होंगे।

न सम्भलोगे तो मिट जाओगे हिन्दुस्तां वालों,तुम्हारी दास्तां तक न होगी दासतानों में।

यह शेर पढ़कर भी आप शिक्षक न समझें तो आप सचमुच बहुत समझदार हैं।वहीं कुछ शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे बीच के लोग ही गद्दार हैं नहीं तो सब ठीक हो जाएगा।जबकि कई ग्रामीण ने होली पर विद्यालय खोलने का विरोध किया और कहा कि सरकार अच्छा नहीं कर रही है।पर्व त्योहार पर सदियों से छुट्टी होते रहा है।जबकि सूत्रों द्वारा बताया गया कि अक्सर विद्यालय खुले पर बच्चे नहीं आए।कहीं कहीं तो शिक्षकों को विद्यालय आने के दौरान जो फजीहत झेलनी पड़ी वह जीवन भर याद रहेगा।वहीं इस साल का होली त्यौहार का रंग गुलाल सब बेकार हो गया।बावजूद इसके शिक्षा विभाग बिहार में बेहतर शिक्षा को लेकर प्रयास रत है और दिन ब दिन नये तरीके का प्रयोग कर रहा है।

Karunakar Ram Tripathi
66

Leave a comment

logo

Follow Us:

Flickr Photos

© Copyright All rights reserved by Bebaak Sahafi 2025. SiteMap