24 मार्च (रविवार) को होलिका दहन और 26 मार्च को होली का पुनीत पर्व,रंगोत्सव मनाया जाएगा।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, पश्चिमी चंपारण, बिहार।
इस वर्ष होली मनाने का जो कार्यक्रम आध्यात्मिक गुरु, आचार्य की गोष्ठी में जो निर्णय लिया गया है,उसी के अनुसार, होली मनाने का कार्यक्रम तय किया गया है,इसमें सभी की रजामंदी से ऐसा निर्णय हुआ है जिसमे, आध्यात्मिक गुरु पं कमलापति त्रिपाठी "प्रमोद"अध्यक्ष,तिरहुत विद्वत परिषद् की अध्यक्षता में, आचार्यों की गोष्ठी संपन्न हुई,जिसमें पूरे बिहार प्रदेश में एक दिन होली मनाने का निर्णय लिया गया।यह वसंतउत्सव उदय व्यापणी करने का स्पष्ट निर्देश प्राप्त है। शास्त्रों के अनुसार,चैत्र मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को जिस दिन सूर्य का उदय होता है,उसी दिन रंग उत्सव (होली) मनाई जाती है।बैठक में उपस्थित सभीआचार्यों ने एक स्वर में कहा की 26 मार्च को ही रंगोत्सव , वसंत उत्सव, होली को मनाया जायेगा ।रंगों का त्योहार होली का पर्व 26मार्च(मंगलवार)को शास्त्र सम्मत है।पंचांग केअनुसार 24 मार्च(रविवार)को रात्रि 10:28 तक भद्रा है।भद्रा के पश्चात अर्थात रात्रि 10:30 के बाद होलिका दहन किया जाएगा। अगले दिन 25 मार्च(सोमवार) को उदया तिथि पूर्णिमा होने के कारण काशी में होली मनाई जाएगी,26 मार्च (मंगलवार) को चैत्र प्रतिपदा तिथि (उदयातिथि में सर्वत्र होली मनाई जाएगी। ऐसी परम्परा भी चलीआ रही है कि जब बाबा विश्वनाथ काशी मसान में होली खेल लेते है,उसके दूसरे दिन काशी से अन्यत्र रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है।विद्वानों में गरीबनाथ मंन्दिर के प्रधान पुजारी,पं विनय पाठक, आचार्य पं नथुनी तिवारी, आचार्य पं सुनेता तिवारी, पंडित विजेंद्रओझा,पूर्व प्राचार्य पंडित मिथलेश दीक्षित,पूर्व प्राचार्य पंडित दिवाकर उपाध्याय,प्राचार्य सुशील पांडेय,आचार्य पं,राकेश तिवारी,आचार्य पं दिवाकर उपाध्याय,पं जयशंकर तिवारी, पं धर्मेंद्र तिवारी,पं सुनील आचार्य,पं अभय तिवारी, आचार्य पं सुनील मिश्र, आचार्य पं संजय तिवारी, आचार्य पं सुमन पांडेय,पं आनंद गौतम,पं सुरेंद्र तिवारी, आचार्य विपुल तिवारी,पंडित नागेंद्र तिवारी,प्राचार्य विपुल दीक्षित,पंडित राजमोहन नाथ तिवारी,पंडित हरीशंकर पाठक,पंडित रितेश मिश्रा, पंडित रामनाथ पांडे ,आचार्य डॉक्टर देवेंद्र पांडे,पंडित सुधाकर शुक्ला,आचार्य राकेश तिवारी,पं मनिष तिवारीआदि के बीच तिरहुत विद्वतअध्यक्ष केआज्ञानुसार, संपर्कसूत्र स्थापित कर प्राचार्य पं मदन मोहननाथ तिवारी ने समस्त विद्वानों का मत प्राप्त कर समाजहित सबके सहमति से यह निर्णय लिया गया है।