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धार्मिक / Feb 11, 2024

शबे बरात 25 फरवरी को।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

सोमवार 12 फरवरी को माह-ए-शाबान की पहली तारीख है। मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने ऐलान किया कि शबे बरात पर्व रविवार 25 फरवरी को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। इस्लामी कैलेंडर के माह शाबान की पन्द्रहवीं तारीख की रात को शबे बरात के नाम से जाना जाता है।

मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने बताया कि माह-ए-शाबान बहुत मुबारक महीना है। यह दीन-ए-इस्लाम का 8वां महीना है। इसके बाद माह-ए-रमज़ान आएगा। शबे बरात के मौके पर महानगर की तमाम मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों की साफ-सफाई व सजावट होगी।

हाफ़िज़ सैफ़ रज़ा इस्माईली ने बताया कि शबे बरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात या निजात की रात। इस्लाम धर्म में इस रात को महत्वपूर्ण माना जाता है। हदीस शरीफ में है कि इस रात में साल भर के होने वाले तमाम काम बांटे जाते है जैसे कौन पैदा होगा, कौन मरेगा, किसे कितनी रोजी मिलेगी आदि। सारी चीजें इसी रात को तक्सीम की जाती है। इस दिन शहर की छोटी से लेकर बड़ी मस्जिदों, घरों में लोग इबादत करते है। अल्लाह से दुआ मांगते हैं। कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शिश की दुआ करते हैं। वलियों की दरगाहों पर जियारत के लिए जाते हैं। गरीबों को खाना खिलाया जाता है।

हाफ़िज़ अशरफ़ रज़ा इस्माईली ने बताया कि इस दिन घरों में तमाम तरह का हलवा (सूजी, चने की दाल, गरी आदि) व लजीज व्यंजन पकाया जाता है। देर रात तक लोग नफ्ल नमाज व तिलावत-ए-कुरआन कर अपना मुकद्दर संवारने की दुआ मांगते है। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करते हैं। इस रात के ठीक पन्द्रह या चौदह दिन बाद मुकद्दस रमज़ान माह आता है। उन्होंने नौजवानों से आतिशबाजी, बाइक स्टंट और खुराफाती बातों से बचने की अपील की है। उन्होंने गुजारिश की है कि जिनकी फ़र्ज़ नमाजें कज़ा (छूटी) हो उनको नफ्ल नमाजों की जगह फ़र्ज़ कजा नमाज़ें पढ़ें।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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