कृष्ण-सुदामा व परीक्षित मोक्ष कथा सुनकर श्रोता भाव विभोर।
-शहर के शास्त्रीनगर में सात दिवसीय कथा की पूर्णाहूति पर हवन-पूजन।
-आरती करके प्रभु की महिमा का गुणगान, मंदिर में हुआ भंडारा।
संतकबीरनगऱ, उत्तर प्रदेश।
शहर के शास्त्रीनगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का समापन हुआ। अंतिम दिन को श्रीकृष्ण-सुदामा व परीक्षित मोक्ष प्रसंग की कथा सुनकर श्रोता भाव विभोर रहे। कथा व्यास ने आरती कराकर कथा को जीवन में उतारने का आह्वान किया। हवन-पूजन से कथा की पूर्णाहूति हुई। श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर में भंडारा करके प्रसाद वितरित हुआ।
श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराते हुए वृंदावन से पधारे आचार्य नरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि पावन कथा भक्ति भावना बढ़ाकर मानव का कल्याण करती है। सुदामा चरित्र प्रसंग को विस्तार देते कहा सुदामाजी के पास श्रीकृष्ण नाम का धन था। सुदामा और भगवान श्रीकृष्ण बचपन में एक ही साथ संदीपनि गुरु के आश्रम में शिक्षा किया। गुरु माता द्वारा दी श्रापित चने की पोटली
जानबुझकर स्वयं ग्रहण किया। अपने मित्र को नहीं खाने दिए। पत्नी सुशीला के कहने पर द्वारिकाधीश से मिलने पहुंचे तो प्रभु नंगे पांव दौड़े। संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे। अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं। भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं। सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। प्रभु कृष्ण के विवाह के प्रसंग के साथ विभिन्न कथाओं का रसपान कराते कहा कि भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, तो वहीं इसे करवाने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंत भजनों से प्रभु की गुणगान हुआ। आयोजक मेजर भागी प्रसाद ने पूजन कराया।
इस मौके पर अखिलेश्वर धर द्विवेदी, प्रवक्ता भास्कर मणि त्रिपाठी, प्रवक्ता अभिषेक सिंह, परमात्मा प्रसाद पांडेय, पंडित विवेक द्विवेदी, कालीप्रसाद, अरुण ओझा, योगेंद्र सिंह, , ओमप्रकाश शर्मा, डा.प्रियांशु, डा. केसी पांडेय, डा. संजय शर्मा, सुरेंद्र, मायादेवी, इंद्रवाती, मंजू, सरस्वती,सीमा, ऋचा पांडेय सहित अनेक श्रोता मौजूद रहे।
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