अल्लाह के वलियों का काम इंसानों की हिदायत - मुफ्ती अलाउद्दीन
मेवातीपुर में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
हज़रत शैख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में शनिवार को मक्का मस्जिद मेवातीपुर के पास जलसा-ए-गौसुलवरा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। हम्द, नात व मनकबत पेश की गई।
मुख्य अतिथि मुफ्ती अलाउद्दीन मिस्बाही ने कहा कि 'अंबिया किराम' और 'औलिया किराम' का मकसद यही था कि इंसान, अल्लाह वाले महबूब बंदों जैसी ज़िदंगी गुजारने का कानून पा जाएं। मोहब्बत, उल्फत और आपस में भाईचारगी का माहौल बाकी रखकर एक अल्लाह की इबादत कर उसका करीबी बन जाए ताकि इबादतों की वजह से दुनिया भी कामयाब हो जाए और आखिरत भी। हज़रत शैख अब्दुल कादिर जीलानी के फरमान पर आम इंसान ही नहीं बल्कि सभी वली भी अमल करते हैं। आपने इस्लाम के प्रचार-प्रसार मे पूरी ज़िंदगी गुजार दी।
विशिष्ट अतिथि मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि शैख अब्दुल कादिर जीलानी परहेजगार, इबादतगुजार, पाकीजा व अल्लाह वालों के इमाम हैं। अल्लाह ने शैख अब्दुल कादिर को वह बुलंद मुकाम अता फरमाया कि वह अपनी नजरे वलायत से वह सब कुछ देख लेते, जहां तक अवाम व खास की नज़र नहीं जाती। शैख की मजलिस में चाहने वालों का बड़ा मजमा लगा होता था, लेकिन आपकी आवाज में अल्लाह ने वह असर दिया था कि जैसे नजदीक वालों को आवाज सुनाई देती थी, वैसी ही दूर वालों को भी।
जलसे में कारी अंसारुल हक कादरी, अरमान, तनवीर, फरहान अहमद खान, आरिज, इस्माइल, इरशाद फारुकी, बज्मी, मुसीर, फुरकान, शमशेर, नूर, कारी शमसुद्दीन, मौलाना हिदायतुल्लाह, कारी मो. अयूब, कारी रुखसार आलम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।