कर्बला और बाबा फरीद की याद में, ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने लगाई फल और कस्टर्ड की सबील, राहत और मोहब्बत का संगम।
भारत समाचार एजेंसी
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश|
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन द्वारा जब गर्मी और थकावट से बदन बोझिल हो जाए और दिल इंसानियत की तलाश में हो तब मोहर्रम, राहत और मोहब्बत का पैग़ाम बन जाता है। इसी जज़्बे को ज़मीन पर उतारते हुए, ग़ौसे आज़म फाउंडेशन (GAF) ने आज, "दरगाह मुबारक ख़ान शहीद" और "सुन्नी मर्कज़ी मदीना मस्जिद" के पास, फल और कस्टर्ड की "हुसैनी सबील" लगाकर, कर्बला के शहीदों और बाबा फरीद गंजशकर रहमतुल्लाह अलैहे के इसाले सवाब को, गिलासों में सजाकर पेश किया।
*यह हुसैनी ख़िदमत का ज़रिया है*
सैकड़ों लोगों ने गर्मी के बीच में मीठा फल, ठंडा कस्टर्ड और पानी पीकर राहत महसूस की। लोगों ने दुआओं और मोहब्बत के साथ इसे क़ुबूल किया।
फल व कस्टर्ड सबील के वैज्ञानिक और सेहतमंद फ़ायदे फल: शरीर में पानी की कमी को दूर करते हैं। विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट और ऊर्जा देते हैं। लू और थकावट से बचाते हैंकस्टर्ड मिल्क: शरीर को ठंडक और संतुलन प्रदान करता है। पाचन को बेहतर करता है। बच्चों, नौजवानों और बुज़ुर्गों के लिए बेहद लाभकारी है।
सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी (चेयरमैन व चीफ़ क़ाज़ी) का पैग़ाम हमारा मक़सद यह बताना है कि कर्बला, डीजे, ढोल बाजे, खेल तमाशों और शैतानी कामों का नाम नहीं, बल्कि मानवता की सेवा, प्यासे को राहत और भूखे को खाना देने का नाम है और फ़रायज़ व वाजिबात का समय पर अदा करने का नाम है। ऐसे नेक कामों के ज़रिये ही हुसैनी बनना मुमकिन है।”
समीर अली (शहर अध्यक्ष, GAF) का पैग़ाम हम हर मोहर्रम एक-एक दिन को नेक कामों से सजाते हैं। सबील, फल, लस्सी, पौधे और उर्स। ये सब, ख़िदमत और एकता बनाए रखने में कारगर साबित होते हैं। ग़ौसे आज़म फाउंडेशन इसी काम को आगे बढ़ा रहा है।”
*क़ौमी और समाजी असर:*
* समाज में राहत, सेवा और इंसानियत का पैग़ाम
* बच्चों, बुज़ुर्गों और बीमारों के लिए सेहतमंद पहल
* मोहब्बत और शांति की राह पर क़दम
* यह सिलसिला 10 मोहर्रम तक चलेगा, हर रोज़, मोहब्बत की यह मिठास बाँटी जाएगी।
जिला अध्यक्ष समीर अली,रहमतनगर अध्यक्ष मोहम्मद फैज, रियाज अहमद, मोहम्मद जैद, अहसन खान, मोहम्मद जैद कादरी, सरफराज अंसारी, अमान अहमद आदि लोग शामिल रहे