परतावल के कोट धाम में राम नवमी पर मां दुर्गा को चढ़ाई गई कड़ाही व चुनरी
परतावल, महराजगंज, उ. प्र.
नगर पंचायत परतावल स्थित पावन कोट धाम के सैकड़ों वर्ष पुराने मां भगवती मंदिर में राम नवमी के पावन अवसर पर, हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कड़ाही चढ़ाने की सदियों पुरानी ऐतिहासिक परंपरा बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाई गई। यह अनूठी परंपरा आज भी क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को जीवंत रखे हुए है, जिसमें श्रद्धालुओं ने गजब का उत्साह दिखाया।
कड़ाही चढ़ाने की यह परंपरा कोट धाम में आस्था का एक जीवंत प्रमाण है। मान्यता है कि मां भगवती को विशेष रूप से लोहे की कड़ाही में पकाई गई सामग्री का भोग अर्पित करने से वे अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। पीढ़ियों से चली आ रही यह प्रथा स्थानीय लोगों की मां भगवती के प्रति गहरी आस्था को दर्शाती है।
राम नवमी की सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। दूर-दूर से श्रद्धालु अपने-अपने साधनों से मां के दरबार में पहुंचे और कड़ाही में विशेष भोग तैयार कर मां के चरणों में अर्पित किया। इस दौरान मंदिर परिसर ‘जय मां भगवती’ और ‘जय माता दी’ के पवित्र जयकारों से गुंजायमान रहा।
इस अवसर पर मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना, दुर्गा सप्तशती का पाठ, कन्या पूजन और भव्य आरती का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर में धार्मिक झांकियां, भजन संध्या और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भक्तिमय माहौल को और भी अधिक आनंदमय बना दिया। कड़ाही चढ़ाने की रस्म पूर्ण होने के बाद, श्रद्धालुओं ने मां को अर्पित किए गए भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। श्रद्धा, सेवा और आपसी सहयोग की भावना से संपन्न हुई यह परंपरा सामाजिक एकता का भी अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रही थी।
कोट धाम मंदिर समिति, नगर पंचायत परतावल और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर सुरक्षा, स्वच्छता, चिकित्सा, पेयजल और यातायात व्यवस्था को कुशलतापूर्वक संभाला। हर आयु वर्ग के श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की गईं थीं।
कोट धाम दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित शैलेश शुक्ला ने बताया कि कोट धाम, परतावल के मां भगवती मंदिर में राम नवमी पर कड़ाही चढ़ाने की प्राचीन परंपरा आज भी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जीवित है। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, गौरवशाली परंपरा और समाज की अटूट एकजुटता का भी अद्भुत संगम है।