ऐसी सोच रखने वाली शिक्षिका बिरले ही मिलती है : कुशवाहा
शिक्षिका पूनम कुमारी ने 38 वर्ष एक ही विद्यालय में गुजार दिया
रिपोर्ट- मोहम्मद आसिफ अता
हाजीपुर (वैशाली) आज के दिनों में प्रायः सेवा काल में पदोन्नति, वेतन भत्ते में वृद्धि को लेकर होने वाले प्रयास अखबारों की सुर्ख़ियों में बने रहते हैं।शिक्षिका पूनम कुमारी,जढुआ हाजीपुर निवासी है।जिनकी नियुक्ति 6 मार्च 1987 को प्राथमिक विद्यालय माईल बिदुपुर में सहायक शिक्षिका के पद पर हुई थी।इसी माह मार्च में उनकी सेवा निवृत्ति होनी है। संभवत: यह उन गिने-चुने शिक्षक/ शिक्षाओं में है जिन्होंने अपने सेवा कल के पूरी लंबी अवधि एक ही विद्यालय में गुजार दिए। पूनम कुमारी के शब्दों में सेवाकाल के 38 वर्ष में कई बार पदोन्नति का अवसर मिला लेकिन हमने हर अवसर को ठुकरा दिया।इसलिए कि मेरी नियुक्ति मेन सड़क के बगल वाले स्कूल में हुई थी।जहां आने जाने में सुविधा थी।जिससे परिवार और विद्यालय को संभालना संभव था।पदोन्नति लिए जाने पर मुझे दूसरे स्कूलों में जाना पड़ता।जिससे घर और विद्यालय संभालना मेरे लिए मुश्किल हो सकता था।हां यह जरूर है कि पदोन्नति नहीं लिए जाने के कारण मेरा वेतन,सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली राशि एवं पेंशन में कुछ कमी रहेगी लेकिन मैं विद्यालय और परिवार को पूरा समय दी।इस बात का मुझे संतोष एवं गर्व है।विद्यालय के पोषक क्षेत्र से मिले प्यार,सम्मान एवं परिवार के हर व्यक्ति की सफलता मुझे हर पल एक सुखद अहसास कराती रहेगी।सेवानिवृत्ति के पूर्व उनके घर जढुआ, हाजीपुर जाकर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला सचिव पंकज कुशवाहा ने सम्मानित किया एवं कहा कि इतिहास के पन्नों में ऐसी विलक्षण सोच वाली शिक्षिका बिरले ही मिला करती है।आज के भागम- भाग एवं हर पल पैसे और परिवार की चिंता ने परिवार ही नहीं विद्यालय के लिए भी चिंतित कर दिया है।इस परिस्थिति में पूनम मैडम एक उदाहरण है।इस अवसर पर प्रधानाध्यापक सुरेंद्र दास,शिक्षिका अंजू सिंहा,राजेंद्र कुमार बनफूल आदि उपस्थित थे।