ससना धाम पर संतपति जी के 308वें जन्मोत्सव समारोह में जुटे कई प्रांत के संत, निकली भव्य झांकी।
301 वर्ष पुराने हस्तलिखित गुरु अन्यास दीपक ग्रंथ का हुआ दर्शन, टेका मत्था और किया पूजन
धनंजय शर्मा
बलिया: बेल्थरारोड तहसील क्षेत्र के ससना बहादुरपुर गांव में संतपति स्वामी शिवनारायण साहेब के 308वें अवतरण दिवस पर शनिवार को संत सम्मेलन एवं ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। जहां देश के करीब 18 प्रांत एवं नेपाल से हजारों की संख्या में अनुयायी भक्त महिला एवं पुरुष जुटे। गांव में स्थित संतपति जी महाराज के समाधी स्थल से अहले सुबह शिवनारायण साहेब की मनोहारी भव्य झांकी निकाली गई। जिसकी अगुवाई विश्वगुरु संत अमरजीत जी महाराज, स्वामी शिवनारायण मत पंथ नेपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा पलटन दास जी महाराज, मुल्की महंत लल्लन दास जी महाराज ने किया। जो गांव के सभी टोलों में भ्रमण करते हुए नहर मार्ग से स्वामी शिवनारायण साहेब के समाधि स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुआ। विशाल भंडारा में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रभातफेरी एवं झांकी से पूर्व राजेंद्र यादव पहलवान के नेतृत्व में युवा खिलाड़ियों ने अनेक करतब दिखाएं। जिसे लोगों ने खुब सराहा। दोपहर बाद ससना धाम में विधिवत पूजन कर मौजूद श्रद्धालुओं ने संतपति स्वामी शिवनारायण साहेब द्वारा कैथी भाषा में स्वहस्तलिखित 301 वर्ष पुराने गुरु अन्यास दीपक ग्रंथ का दर्शन किया। इस दौरान संतपति जी के जयकारे से पूरा ससना धाम गुंजायमान हो गया। परिसर में आयोजित संत सम्मेलन में स्वामी जी के संदेशों की विस्तार से चर्चा की गई। विश्व धर्म गुरु अमरजीत जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन के कल्याण के लिए हर व्यक्ति को किसी एक संत को जबरन पकड़ना चाहिए। क्योंकि यहीं कल्याण का मार्ग है। विश्वगुरु अमरजीत जी महाराज, मुल्की महंत लल्लन दास जी, नेपाल से धर्म गुरु बाबा पलटन दास जी, नेपाल के मेयर नागेश्वर प्रसार सिंह गनगाई, तुलसी राम रिजाल, लल्लू दास जी, फतेह दास जी महाराज, सुरेश जी एवं सुभाष जी ने भी प्रवचन कथा के दौरान संत, भक्त और भगवान के बीच के संबंध का व्याख्यान किया। इस मौके पर वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य राजनारायण सिंह, कोषाध्यक्ष मनोज सिंह, सचिव तेजबहादुर सिंह, सुरेश सिंह, हरिमोहन सिंह, रमाकांत, राजेश सिंह, मोहित साधु, कुंवर बहादुर सिंह, श्याम नारायण, प्रधान बलदेव यादव, रमाशंकर यादव बाउल, संतोष सिंह, राजेंद्र प्रताप सिंह, बाबा त्रिवेणी दास जी महाराज, हरिनारायण महतो, हरिवंश मौजूद रहें।