हिंदी को सामान्य जीवन, कार्यालयों, न्यायिक प्रणालियों, वैज्ञानिक शोधों,कहानियों, कविताओं , अपने लेखनी में आंगीकृत करने की आवश्यकता है - डाॅ. अभिषेक पाण्डेय
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां बड़हलगंज गोरखपुर में हिन्दी दिवस के अवसर पर कालेज में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ०अभिषेक पाण्डेय ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि हिंदी सामान्य जन द्वारा बोली जाने वाली सबसे लोकप्रिय भाषा है।हिंदी भाषा हिन्दुस्तान की रूह है। जैसे शरीर से रूह को अलग नहीं किया जा सकता, वैसे ही हिंदी भाषा को हिन्दुस्तान से अलग नहीं किया जा सकता। हिन्दुस्तान शरीर है तो हिंदी हिन्दुस्तान की आत्मा है।यह विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर की भाषा है। हिन्दी को समृद्ध और सशक्त बनाने में विभिन्न खण्ड कालों में अनेक कवियों, कथाकारों ने इसे सम्बल प्रदान किया है, परन्तु वर्तमान समय में नवयुवकों में अंग्रेजी के प्रति रूझान और हिंदी की उपेक्षा जरूर एक चिन्ता का सबब है। हमें हिंदी भाषा को सामान्य जीवन में ,कार्यालयों में, न्यायिक प्रणालियों, वैज्ञानिक शोधों में,कहानियों, कविताओं में, अपने लेखनी में आंगीकृत करने तथा आने वाली नई पीढ़ी के नौजवानों को एक गौरवशाली भाषा को विरासत के रूप में हस्तांतरित करने की जरूरत है। कालेज के मुख्य नियन्ता चन्द्र भूषण तिवारी ने बताया कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है जिस पर हम सभी को गर्व भी है। हम अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप और भी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करे,लेकिन हिंदी हमारी मूल भाषा है जिसका ज्ञान हम सभी को होना चाहिए। हिंदी हमारी संवेदना की भाषा है, इसमें हम अपने विचारों की अभिव्यक्ति बहुत ही सरल और सहज तरीके से कर पाते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर फकरुद्दीन जी ने कहा कि हिंदी, हिन्दू हिन्दुस्तान इस देश की सदियों से पहचान रहा है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो पूरे हिन्दुस्तान को पिरोने का कार्य करती है। असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष कुमार गुप्ता ने बताया कि भारत को सर्वोच्च ऊंचाईयों पर ले जाने की अवधारणा भी हिन्दी ही है। जिसपर भारत सरकार अब विशेष ध्यान देने का कार्य कर रही है। अवनीश उपाध्याय ने बताया कि हिन्दी के उत्थान में सूर्य कान्त निराला,सूर, तुलसी, जायसी, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, रामधारी सिंह दिनकर आदि ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।जिसे हमें और आगे ले जाने की आवश्यकता है। हमें अपने सामान्य जीवन में, सामान्य व्यवहार में नित हिंदी भाषा अपनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन अंकुर यादव ने किया।
इस कार्यक्रम में श्रुति माथुर, सूर्यांश कौशिक,दीवाकर,अमन, विकास शर्मा, ओंकार ओझा ,अंशिका ओझा, सोनाली, विकास सिंह और शशांक गुप्ता आदि ने भाग लिया।