रमज़ान के आखिरी जुमा की नमाज़ से रमज़ान के समापन का संदेश मिलता है - मुफ्ती ए शहर
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर उत्तर प्रदेश।
शहर की मस्जिदों में अलविदा जुमा (रमज़ान का अंतिम जुमा) के मद्देनजर तमाम इंतजाम मुकम्मल कर लिए गए हैं। मस्जिदों की साफ-सफाई करीब पूरी हो गई है। दरी, चटाई व पानी की समुचित व्यवस्था कर ली गई है। मस्जिदों में खूब भीड़ उमड़ेगी।
दोपहर 12:30 बजे से 2:30 बजे तक सभी मस्जिदों में जुमा की नमाज़ अदा की जाएगी। मस्जिदों में तकरीर और अलविदाई ख़ुत्बा होगा। इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग दो रकात जुमा की फ़र्ज़ नमाज़ अदा करेंगे। सभी मस्जिदों में जुमा की नमाज़ अदा कर खुसूसी दुआ मांगी जाएगी। जुमा की नमाज़ सबसे अंत में चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में दोपहर 2:15 बजे व सुन्नी जामा मस्जिद सौदागार मोहल्ला बसंतपुर में दोपहर 2:30 बजे अदा की जाएगी।
मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि रमज़ान के महीने के आख़िरी जुमा को अलविदा या जुमातुल विदा भी कहते हैं। यूं तो इस माह के हर दिन की अहमियत है, लेकिन जुमा को और दिनों का सरदार कहा जाता है इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। इसे छोटी ईद या हफ्ते की ईद भी कहा जाता है। रमज़ान के आखिरी जुमा की नमाज़ से रमज़ान के समापन का संदेश मिलता है। रहमत भरा महीना जाने के गम में अलविदा-अलविदा माह-ए-रमज़ान अलविदा कहा जाता हैं। ईद के आने की खुशी जहां लोगों में होती है, वहीं इस रहमत भरे महीने के जाने का गम भी होता है। अलविदा के माने रुखसत करना है। अलविदा रमज़ान के आखिरी जुमा को कहते है। इसके बाद रमज़ान में कोई दूसरा जुमा नहीं आता है, इसलिए अलविदा कहा जाता है।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने बताया कि कुरआन-ए-पाक में अल्लाह तआला फरमाता है, रोजों की गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो कि उसने तुम्हें हिदायत फरमाई । हदीस में है जब पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीने में तशरीफ लाए उस जमाने में अहले मदीना साल में दो दिन ख़ुशी करते थे महरगान व नौरोज। पैग़ंबरे इस्लाम ने फरमाया यह क्या दिन है? लोगों ने अर्ज किया कि जाहिलियत में हम इन दिनों में ख़ुशी करते थे। पैग़ंबरे इस्लाम ने फरमाया अल्लाह तआला ने उनके बदले में इनसे बेहतर दो दिन तुम्हें दिए हैं ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा।