बेतिया राज् के मठ,मंदिरों, धर्मशालाओं की जमीन से अतिक्रमकारियों का हटेगा कब्जा।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया,पश्चिमी चंपारण, बिहार।
1627 ई में स्थापित बेतिया राज् के सारे राजा महाराजाओं को धर्म में काफी गहरीआस्था थी,लोक और जन हित कल्याणकारी कार्यों के लिए बनाए गए मठ,मंदिर, धर्मशालाओं को लोगआज भी उससे लाभ उठा रहे हैं।यही कारण है कि बेतिया राज के महाराजाओं ने जिले और जिले के बाहर 56 से ज्यादा,मठ, मंदिरों,धर्मशालाओं की स्थापना कराया था। हजारों कुएं, जलाशय,खुदवाए गए थे, बाग बगीचे लगाने के साथ-साथ मठ,मंदिर, धर्मशाला का भी निर्माण कराया था। सदियों गुजर जाने के बाद भी इसमें बहुत सारे आज भी जीवंत है। वर्ष 2017 के सर्वे केअनुसार,पश्चिमी चंपारण के विभिन्न अंचलों में बेत्तिया राज के पास 9759 एकड़ भूमि है,पूर्वी चंपारण में 5320 एकड़ जमीन है,इनमें से 2027 एकड़ जमीन का मठ, मंदिर,धर्मशाला,पार्क आदि जनहित के उपयोग में हैं। पश्चिमी चंपारण में बेतिया राज के1359 एकड़ जमीन पर मठ,मंदिर और धर्मशाला बने हुए हैं,जबकि पूर्वी चंपारण में बेतिया राज का 6668 एकड़ भूमि जनहित के कार्यों में है। इन जमीन पर मठ, मंदिर, धर्मशाला है।बेतिया राज् के महाराजाओं ने जनहित के कार्य में शहरी क्षेत्र में 534 एकड़ जमीन जनहित के उपयोग में दिया गया था, जबकि 825 एकड़ जमीन ग्रामीण लोग इस्तेमाल करते हैं। राजगुरु परिवार के प्रमोद व्यास ने संवाददाता को बताया बेतिया राज के सभी महाराज जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए जाने जाते हैं,इन महाराजाओं के लिए जनकल्याणकारी सबसे महत्वपूर्ण था,यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई एकड़ जमीन जनकल्याणकारी के इस्तेमाल के लिए छोड़ दिया गया है। बेतिया राज के महाराजाओं ने मठ,मंदिर, धर्मशाला,हजारों की संख्या में बनवाए थे,जिनको ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने सभी भूमि को अतिक्रमण करकेअपने उपयोग में ला रहे हैं। बेतिया राज के मठ,मंदिर धर्मशालाओं के 1458 एकड़ भूमि लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है, जिसको खाली करना है।
बेतिया राज व्यवस्थापक, अवनीश कुमार ने संवाददाता को बताया कि बेतिया राज्य के सभी मठ मंदिरों और धर्मशालाओं के जमीन को जिन लोगों ने अतिक्रमण करके कब्जा कर लिया है, इसका ताजा डाटाबेस तैयार किया जा रहा है,जल्द ही अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।