भारत का संविधान जिंदगी जीने का अधिकार दिया।
दलितों महिलाओ शोषित समाज के लोगों का हक- उमेश कुमार राम
भारत का संविधान दबे कुचले वंचित समाज का हक - डॉ. रिजवान अहमद एजाजी
ब्यूरो चीफ अंजुम शहाब की रिपोर्ट मुज़फ्फरपुर बिहार।
अखिल भारत अनुसूचित जाति परिषद के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सदस्य उमेश कुमार राम ने देश के महान विभूति " भारत रत्न " बाबा साहेब डा० भीम राव अम्बेडकर जी के द्वारा रचित " भारत का संविधान " भारत का संविधान, भारत का सर्वोत्म विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26, नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26, नवम्बर, 1950 से प्रभावी हुआ, यह दिन ( 26, नवम्बर ) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर मैं अपनी संगठन की ओर से सकरा सु० विधान सभा क्षेत्र के सम्मानित जनता सहित समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई व ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं। श्री राम ने कहा है कि ये वो ही बाबा साहेब के द्वारा रचित भारत का संविधान है जिसके माध्यम से दबे- कुचले, पिछड़ों, दलितों, महिलाओं एवं बंचित समाज के लोगों को हक - हुक और सम्मान की जिन्दगी जीने का अधिकार दिया है। बाबा साहेब डा० भीम राव अम्बेडकर जी ने गरीबों, शोषितों के उत्थान व विकास के लिए और उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। बाबा साहेब के द्वारा दिए गये अमोघ अस्त्र - शिक्षित बनों, संगठित हों , संघर्ष करों। आज जरूरत है उनके द्वारा बताए गये मार्ग पर चलकर और उनके उपदेशों पर चलकर बाबा साहेब डा० भीम राव अम्बेडकर जी के अधुरे सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने की। जय भीम। जय भारत । जय संविधान।