जीएमसीएच बेतिया में हजारों रोगियों के बीच एक ही दवा दुकान का होना हास्यास्पद।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया,पश्चिमी चंपारण, बिहार।
स्थानीय नगर थाना क्षेत्र में अवस्थित, बेतिया सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल इन दिनों कई ज्वलंतआरोपों से घिरा हुआ नजर आ रहा है,नित्यदिन यहां विभिन्न प्रकार के हालात पैदा होते रहते हैं, कभी रोगियों और उनके परिजनों से डॉक्टरो,नर्सों के बीच नोक झोंक,तो कभी रोगियों के परिजनों से अस्पताल में पदस्थापित गार्डों, अस्पताल कर्मियों से,तो कभी रोगियों के मृत्यु उपरांत, डॉक्टरों, नर्सों,अस्पताल कर्मियों और गार्डों के बीच मामला तूल पकड़ लेता है, साथ ही कई तरह के कांड प्रतिदिन सुनने और देखने को मिलता है। इतना ही इस सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी में मात्र एक दवा का काउंटर,हजारों रोगियों के बीच दवा खरीदने के लिए मारपीट,नोक झोंक, गाली गलौज होता रहता है।जिला के इतने बड़े अस्पताल में एक ही दवा का काउंटर होने से रोगियों और उनके परिजन परेशान होते रहते हैं,कई घंटे तक कतार में लगे रहते हैं, इसके कारण कई तरह की कठिनाइयां सामने आती रहती हैं,कभी कोई रोगी के परिजन दवा खरीदने के लिए कुछ इधर-उधर करते हैं तो मारपीट का मामला बन जाता है,अगर अस्पताल प्रशासन की ओर से दो-तीन दवा का काउंटर होता तो ऐसी नौबत नहीं आती,यह तो अस्पताल प्रशासन और अस्पतालअधीक्षक को सोचना चाहिए,मगर इन लोगों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती यह बिल्कुल मृतप्राय हो गए है,साथ ही मरीज,उनके परिजन कोअस्पताल के कर्मियों एवं गार्डों के बीच आपस में लड़ाई झगड़ा कराने की छूट दे रखी है।इस अस्पताल में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है।
संवाददाता के विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि इस अस्पताल में प्रत्येक दिन12 सौ से अधिक रोगी रोजाना पहुंचते हैं,साथ ही उनके विभिन्न विभागों में इलाज चलता है,इसके चलते रोगी और उनके परिजनों की दवा की आवश्यकता पड़ती है, मगर मात्र एक ही दवा का काउंटर अस्पताल में होने के कारण काफी भीड़ लग जाती है,साथ ही रोगी तथा उसके परिजन परेशानियों का सामना करते हैं,इन सभी विषयों को देखने के बाद भी अस्पताल प्रशासन, अस्पतालअधीक्षक, सुधा भारती अन्य डॉक्टर, पदाधिकारी,इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं,इन्हीं सब कमियों को लेकर अस्पताल के अंदर हो रहे कुकृतियों एवं विभिन्न कमियों को दर्शाने के लिए मीडिया कर्मियों के द्वारा हमेशा समाचार प्रकाशित किए जाते रहे हैं,जिसे आम लोगों को इसअस्पताल के बारे में सारी जानकारियां मिलती थीं,इसको लेकर,अस्पतालअधीक्षक, डॉक्टर सुधा भारती ने इन्हीं सब कारणों से मीडिया वालों को समाचार संकलन करने के लिए रोक लगा दिया है,ताकि इनकी कुकृतियां,असफलताएं मंजरेआम पर नहीं आ सके।
सुबह 7:00 बजे से ओपीडी खुलने के बाद दवा लेने के लिए रोगी और उनके परिजन कतार में लग जाते हैं,दवा लेने के लिएआतुर रहते हैं,इसी में कई तरह की परेशानियों का सामने आती हैं,दूसरी बात यह है कि इस अस्पताल के ओपीडी में 236 प्रकार के दवाइयां मरीजों को देने के लिए सरकार द्वारा घोषित है, मगर अभी केवल 76 प्रकार के ही दवा मरीज को मिल रही है,बाकी दवा रोगियों को बाहर से खरीदनी पड़ रही है,जिससे रोगी और उनके परिजन आर्थिक तंगियों का सामना कर रहे हैं।
अस्पतालअधीक्षक,डॉक्टर सुधा भारती ने जब से इस अस्पताल के प्रभारी बनी हुई हैं तभी से ऐसा देखने व सुनने को मिल रहा है,इस पर कोई ध्यान नहीं देती हैं,साथ ही मुक दर्शक बनकर रोगी के परिजनों का तमाशा देखती रहती हैं।