समाज और पर्यावरण का स्वास्थ्य बेहतर करने हेतु एक प्रयास।
बाराचट्टी में खुला मिलेट घर
रिपोर्ट :विनोद विरोधी
गया,बिहार।
गया बिहार का पहला मिलेट यानी मोटे अनाज का एक सामुदायिक केंद्र, मिलेट घर के नाम से, बिहार के गया जिला के बाराचट्टी में, सहोदय समुदाय द्वारा शुरू किया गया । 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। दिल्ली के संसद के कैंटीन में भी मिलेट खाना यानी मरुआ से बना भोजन परोसा जाना शुरू हो गया है। ओडिशा में राज्य सरकार राशन में कुपोषण दूर करने के लिए, मरुआ बांटना शुरू किया है। प्रधानमंत्री का भी प्रोत्साहन मिल रहा है। हमारे मोटे अनाज कहे जाने वाले खाद्य पदार्थ, हमारे थाली से अलग हो गए है। वही हाल हमारे देशी बीज और घरेलू औषधि का भी है। जिसका साफ़ असर हमारी ज़मीन, पर्यावरण और स्वास्थ्य में हो रहे बदलाव में देखा जा सकता है। सहोदय समुदाय द्वारा यह एक छोटा सा प्रयास है जिसके द्वारा हम न केवल इसे संरक्षण कर रहे है ,बल्कि इसे पुनर्जीवित कर लोगो की थाली तक पहुँचाने की हर संभव कोशिश कर रहे है। इसे दूकान या व्यापार न समझे बल्कि यह एक स्वस्थ, सामुदायिक, और टिकाऊ जीवन जीने के तरफ बढ़ने की यात्रा की शुरुआत है।
मिलेट घर में आपको, भूले हुए देहाती अनाज, जैसे मरुआ (रागी), कोदो, सांवा, कोइनी, कुटकी, कांगनी, जौ, पुराने देशी धान, दाल में जैसे कुल्थी, अरहर, मसूर और तेल वाले अनाज जैसे मलकोनी, तीसी (अलसी), रामतिल, सफ़ेद तिल, और कई तरह के साग, सब्जी से बने खाद्य पदार्थ, और व्यंजन, जैसे ठेकुआ, निमकी, लड्डू, हलवा, बर्फी, केक और बिस्कुट देखने और खाने करने को मिलेंगे। यहां लोगो के सामने रसायनमुक्त स्थानीय या देशी खाद्य सामान या अनाज, तेल, गुड़, सेंधा नमक और उससे बना भोजन या मिठाई या नमकीन पड़ोसा जायेगा। साथ में हर्बल चाय और धरेलू औषधि भी रहेगा। यहाँ लगभग 100 देशी बीज का प्रदर्शन रहेगा।
सहोदय समुदाय बाराचट्टी के एक महादलित गावं, कोहबरी में, 2017 से , बच्चो के साथ एक वैकल्पिक समग्र शिक्षण व्यवस्था के साथ , एक सामुदायिक जीवन जीने की कोशिश कर रहे है। इसको बिहार के ही दम्पति रेखा और अनिल अपने दो बच्चो के साथ शरू किये है। ये लोग पूरी तरह जैविक खेती कर रहे है। मरुआ की खेती पिछले दो साल से कर रहे है। पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान है।