यतीमखाना बदरिया बेतिया के विकास में बाधक बनने वालों की अब खैर नहीं।
ब्यूरो चीफ़ शहाबुद्दीन अहमद
शहाबुद्दीनअहमद/बेतिया।
स्थानीय नगर थाना क्षेत्र में अवस्थित,मुस्लिम समुदाय का एकमात्र अनाथ बच्चे/बच्चियों का पालन पोषण कर्ता,यतीमखाना बदरिया बेतिया का जो अपने पूर्वजों का प्राचीन,प्रख्यात होने के साथ साथ इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक,शैक्षणिक माहौल रहा है,सैकड़ों वर्षों से इस संस्था का विकास के लिए बहुत से नियम कानून बनाए गए हैं,जो अभी भी चले आ रहे हैं,मगर समय का तकाजा है कि इस नियम व कानून में कुछ संशोधन करने की जरूरत शहरवासियों के द्वारा महसूस की जा रही है।
इसके उपरांत नए अंदाज में नए लोगों को जोड़कर एकअच्छी कमेटी का गठन किया जाए,जो इस संस्था के विकास के लिए हर संभव कोशिश करें,ना कि इस के विनाश के लिए,अपने जाति फायदा के लिए तत्पर रहे। इसके अलावा निर्धारित समय पर उल्लेखित नियम के अनुसार,नई कमेटी का गठन करने के लिए चुनाव करा दिया जाए,साथ ही ऐसे सदस्यों को रखा जाए जो इसके प्रगति,विकास,आर्थिक संसाधन को ध्यान में रखते हुएअपने स्तर से भी आर्थिक दृष्टिकोण से मदद पहुंचाएं,ताकि अनाथ बच्चे/बच्चियों का विकास,शिक्षा दीक्षा,रहन सहन,खानपान,शादी विवाह में किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाए,जिससे इस यतीमखाना में, परवरिश पा रहे बच्चे बच्चियों को,रहने सहने,पढ़ने लिखने, खाने-पीने,शादी विवाह में इन छात्र/छात्राओ को अपने आप में अन्य विद्यालयों एवं संस्थानो की तुलना में तुच्छ नहीं महसूस कर सकें।
संवाददाता को स्थानीय लोगों ने कहा कि अभी इस संस्था के जो भी पदधारक हैं,या सदस्य हैं, उनको एक टर्म के बाद दूसरे टर्म में नहीं रहना चाहिए,ताकि इन लोगों पर किसी प्रकार की बदइंतेजामी,घपला घोटाला का इल्जाम नहीं लग सके।
शहरवासियों ने संवाददाता को आगे बताया कि इस संस्था के कानून में यह भी संशोधन होना चाहिए कि एक बार कमिटी में चुने जाने वाले सदस्य को दूसरी बार कमिटी के चुनाव में भाग नहीं लेना होगा या सदस्य नहीं बनना होगा,जिससे आने वाले दिनों में एक दूसरे पर किसी प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप लगाने की गुंजाइश नहीं रहे।इस संस्था के तत्कालीन कमेटी में जो लोग भी सदस्य के रूप में अभी काम कर रहे हैं,उन लोगों पर भी,इस शहरवासियों के द्वारा और कमेटी के कुछ सदस्यों के द्वारा भी कई प्रकार के इल्जाम लिखित रूप में लगाए जा रहे हैं,और आपस में भी एक दूसरे पर आराेप प्रत्यारोप का दौर अभी भी जारी है,इससे इस संस्था की बदनामी हो रही है,और शहरवासियों की बीच विभिन्न प्रकार के प्रश्न चिन्ह खड़े किए जा रहे हैं,जिससे इस संस्था को बहुत सारीआर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक रुप से नुकसान पहुंचने का डर सता रहा है।शहरवासियों ने संवाददाता को अपनी मांगों को रखती हुए कहा कि इस संस्था के हक,विकास, प्रगति में यही अच्छा रहेगा कि तत्कालीन सदस्य जो अभी इस कमिटी में है,उन्हें अपनी प्रतिष्ठा को बचाते हुए तत्कालिक प्रभाव से अपने आप पद मुक्तहो जाना चाहिए,और शहर के गणमान्य व्यक्तियों,बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों,सामाजिक कार्यकर्ताओं का तुरंत नई कमेटी बनाकर उनको अपना पदभार सौंप देना चाहिए ताकि इस प्रख्यात,ऐतिहासिक,प्राचीन, मुस्लिम समुदाय के एकमात्र संस्था को किसी भी दृष्टिकोण से कोई आंच नहीं आ सके।
इसके साथ ही साथ शहरवासियों की मांग है कि नई कमेटी बनने के बाद एक तीन सदस्य निगरानी कमेटी भी बनाई जाए,जो इस नई कमेटी के अध्यक्ष,सचिव, कोषाध्यक्ष,एवं सदस्यों पर उनके सारी गतिविधियों पर पैनी नजर रख सके,और यतीम लड़कीयों की हॉस्टल की देखे और उनकी पढ़ाई लिखाई,रहने सहने,खाने पीने एवन अन्य आवश्यक सामानों की कमी बेशी,के साथ साथ कढ़ाई,बुनाई,सिलाई की प्रक्रिया पर भी निगरानी करने, देखरेख,व जांच करने के लिए एक 2 सदस्यीय महिला निगरानी टीम का भी गठन किया जाए,जो विधिवत तौर पर सप्ताह में एक दिन कम से कम इसकी निरीक्षण कर सके।