इस्लाम में पड़ोसियों का ख्याल रखना धार्मिक कर्तव्य - मुफ्तिया गाजिया
मुस्लिम महिलाओं की संगोष्ठी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मदरसा रजा-ए-मुस्तफा तुर्कमानपुर में मुस्लिम महिलाओं की 26वीं संगोष्ठी हुई। कुरआन-ए-पाक कि तिलावत खुशी नूर ने की। हम्द व नात-ए-पाक सना फातिमा, उम्मे ऐमन, समीना अमजदी ने पेश की।
मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया खानम अमजदी ने कहा कि इस्लाम धर्म में पड़ोसियों के हुकूक (अधिकार और कर्तव्य) बहुत अहम हैं। जिनका कुरआन-ए-पाक और हदीस-ए-पाक में स्पष्ट उल्लेख है। पड़ोसियों का ख्याल रखना शिष्टाचार ही नहीं, बल्कि धार्मिक कर्तव्य भी है। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पड़ोसियों का ख्याल रखने की शिक्षा दी है और खुद उस पर अमल करके दिखाया भी है। पड़ोसियों का सबसे बुनियादी हक यह है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए और उन्हें किसी भी तरह से परेशान न किया जाए। हमें पड़ोसियों की खुशियों में शरीक होना चाहिए। उनकी तकलीफों में उनके साथ खड़ा होना चाहिए। अगर उन्हें किसी चीज की जरूरत हो और हम उसे पूरा कर सकते हों, तो मदद जरूर करनी चाहिए। हदीस-ए-पाक में भूखे पड़ोसी के बारे में सख्त ताकीद आई है।
संचालन करते हुए शिफा खातून व उम्मे ऐमन ने कहा कि पड़ोसियों की गैर-मौजूदगी में उनके घर, माल और इज्जत की हिफाजत करना हमारा दायित्व है। पड़ोसियों की निजी जिंदगी में तांक-झांक न करना, उनकी कमियों या राजों को छिपाना, उनके लिए खैर और सलामती की दुआ करना हमारी अहम जिम्मेदारी है। हमें पड़ोसियों के यहां छोटे-मोटे उपहार या खाना भेजना चाहिए, जिससे रिश्ते मजबूत होते हैं। इन हुकूक को पूरा करना न केवल दुनियावी रिश्तों को बेहतर बनाता है, बल्कि इस्लाम धर्म में इसे सवाब का काम भी माना जाता है। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली, तरक्की व अमन की दुआ मांगी गई। संगोष्ठी में अकलीमा वारसी, फिजा खातून, आस्मा खातून, सना, मुबस्सिरा, खुशी नूर, हदीसुन निसा, नूर अफ्शा, अख्तरुन निसा, असगरी खातून आदि मौजूद रहीं।
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