अशोक स्तंभ के परिसर में 5100 दीपों का दीपदान उत्सव मना।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
अशोक स्तंभ के परिसर में 5100 दीपों का दीपदान उत्सव बड़ी गरमजोशी के साथ मनाया गया,जिसका आयोजन सम्राटअशोक क्लब एवंभारतीय बौद्ध महासभा ने संयुक्त रूप से नगर पंचायत के सहयोग से तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के भागीदारी सेआयोजित किया गया।इस संबंध मेंउपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए विजय कश्यप ने इस संबंध में पूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि कलिंग युद्ध के पश्चात चक्रवर्ती सम्राटअशोक ने बौद्ध धर्म कोअपना लिया, रक्तपात से राज्य विस्तार करने के बजाय शांति द्वारा विश्व विजय करने का मन बना लिया,उस निश्चय को पूरा करने के लिए उसनेअपने बेटे महेंद्र क़ो श्रीलंका,बेटी संघमित्रा को नेपाल सुदूर प्रदेशों में भेज दिया। परिणाम यह सामने आया कि आज पूरे एशिया में बुद्ध का संदेश बिना बुद्ध के गए ही पहुंच गया, जहां-जहां बुद्ध का संदेश गया वे सारे देशआज विकसित देश के रूप में दुनिया में जाने जाते हैं।भारत के परिपेक्ष में यह जानकारी मिलती है कि भारत तब तक विश्व का जगतगुरु रहा जब तक भारत में बुद्ध का ज्ञान शासकीय एवं राजकीय संरक्षण में रहा। धोखे एवं विश्वासघात् से मौर्य साम्राज्य के दसम शासक महाराज ब्रह्दत की हत्या के पश्चात मगध बुद्धिस्ट गणराज नहीं रह पाया,जिसका नतीजा यह मिला कि हम बेहाल एवं बदहाल हैl पूरी दुनियाआज बुद्ध के ज्ञान सेअपने देश को विकसित कर रही हैl भारतीय बौद्ध महासभा के संरक्षक, विजय कश्यप ने भारत सरकार से लौरिया नंदनगढ़ कपिलवस्तु को भारतीय पुरातत्व विभाग के देखरेख में चंपारण संग्रहालय में उन सारी चीजों को संग्रहित करने की अपनी मांग को दोहराते हुए चंपारण से जुड़ी रामपुरवा का अशोक स्तंभ का ऊपरी भाग तथा मौर्यवंश के उद्गम स्थल पिपलीवान में स्थापितअशोक स्तंभ के ऊपरी भाग तथा कपिलवस्तु नंदनगढ़ जो विश्व का सबसे बड़ा स्तूप है,उसको भी पुरातत्व विभाग की देखरेख में पुनःस्थापित करके, चंपारण बुद्ध की जन्म भूमि है इसकी घोषणा की जाए, साथ ही नगर प्रशासन से यह मांग की कि लोरिया पहुंचने वाले मार्गो पर सिंह बनाया जाए, पर्यटन की दृष्टि सेआवश्यक सुविधायुक्तआवास एवं विश्राम गृह बनाया जाए, गोलंबर पर सम्राटअशोक या भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की जाए,ताकि चंपारण को पर्यटन की दृष्टि से बुद्ध सर्किट में होने के बावजूद भी उचित स्थान से वंचित इस बुद्ध की जन्मभूमि को उचित सम्मान एवं सुविधा प्रदान की जाए।