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धार्मिक / Sep 15, 2025

राजस्थान के मुफ्ती खालिद अय्यूब सब्जपोश अवॉर्ड से सम्मानित।

पैगंबर-ए-इस्लाम के जरिए महिलाओं को मिला सम्मान व अधिकार : मुफ्ती खालिद 

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार के मैदान में मोहसिन-ए-आजम कांफ्रेंस हुई। राजस्थान के मशहूर धर्मगुरु मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही शीरानी को दीनी शिक्षा व सामाजिक कार्यों में अहम योगदान देने के लिए ’सब्जपोश अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही को सम्मान पत्र, शील्ड व फूल पेश किया गया। संयोजक हाफिज रहमत अली निजामी ने सभी मेहमानों का इस्तकबाल किया।

मुख्य वक्ता मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही ने कहा कि कुरआन फरमा रहा है कि अगर कामयाबी चाहिए तो पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कल्चर अपनाओ। पैगंबर-ए-इस्लाम का बताया हुआ रास्ता अपनाओ। जब अरब जगत में सामाजिक बुराइयों, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और नवजात बच्चियों की हत्या का दौर था। अरब की सरजमीं पर मौजूद इन बुराइयों के खिलाफ पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आवाज उठाई तो उनकी राह में तरह-तरह की मुश्किलें पैदा की गईं, लेकिन अल्लाह के पैगंबर आगे बढ़ते चले गए। तमाम बुराईयों को खत्म कर दिया, इसीलिए आज पूरी दुनिया मोहसिन-ए-आजम व इंसानियत पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सलाम करती व उनके नक्शे कदम पर चलती नजर आ रही है। एक अल्लाह की इबादत और इंसानियत का संदेश देने वाले पैगंबर-ए-इस्लाम समाज में महिलाओं को सम्मान एवं अधिकार दिए जाने की हमेशा पैरोकार रहे। विधवा से शादी करके महिलाओं का सम्मान बढ़ाया। महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिया। पत्थर खाकर, जुल्म सहकर भी दुआएं दीं और अहिंसा का पैगाम दिया।

विशिष्ट वक्ता मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि जो मुसलमान इस दुनिया में बच्चियों को खुश होकर सही तालीम देंगे और उनकी परवरिश करेंगे उन्हें मैं जन्नत में लेकर जाऊंगा। पैगंबर-ए-इस्लाम ने 1500 साल पहले ही पूरी दुनिया को शिक्षा हासिल करने, बेटी बचाओ व स्वच्छता का संदेश दिया था। पैगंबर-ए-इस्लाम की फरमाबरदारी और पैरवी करो। जो अल्लाह और उसके पैगंबर की फरमाबरदारी करेगा उसे सिर्फ कामयाबी ही नहीं बल्कि अजीम कामयाबी मिलेगी।

कुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी शरफुद्दीन मिस्बाही ने की। नात-ए-पाक मौलाना दारैन, कासिद रजा इस्माइली व मौलाना महमूद रजा कादरी ने पेश की। अंत में दरूदो सलाम पढ़ कर दुआ मांगी गई। कांफ्रेंस में मुफ्ती अख्तर हुसैन, मुफ्ती अजहर शम्सी, कारी मुहम्मद अनस रजवी, मुजफ्फर हसनैन रूमी, हाफिज रजी, हाफिज आफताब, आरिफ, तारिक सामानी, मौलाना मकसूद आलम, हाफिज आमिर हुसैन, हाफिज अजमत अली, अरीब, मुहम्मद आसिफ, नेहाल अहमद, आसिफ महमूद, मुहम्मद आरिफ, हसन अली, अफसर अली, युसूफ, हाजी रफीउल्लाह, मुहम्मद जैद, शहनवाज आलम, मुहम्मद यूसुफ, मुहम्मद आकिब, सनी, अली शान, रूशान, जीशान, शकिब, शाबान, शहबाज़ सिद्दीकी, प्रिंस, जीशान, मुहम्मद अशरफ, अली अहमद आदि ने शिरकत की।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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