हजरत उमर व इमाम हुसैन की याद में सैकड़ों लोगों को पिलाया ठंडा शरबत।
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
माहे मुहर्रम शुरु हो चुका है। शुक्रवार पहली मुहर्रम को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु को उनके यौमे शहादत (शहादत का दिन) पर शिद्दत से याद किया गया। मस्जिद व घरों में फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी की गई।
हजरत उमर, इमाम हुसैन व शुहदाए कर्बला की याद में अल कलम एसोसिएशन व मकतब इस्लामियात के संयुक्त तत्वावधान में सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के पास एक हजार से अधिक लोगों को ठंडा शरबत पिलाया गया। इस्लाम धर्म की शिक्षाओं व इमाम हुसैन की जिंदगी पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। हजरत उमर की जिंदगी पर आधारित दो हजार पर्चे विभिन्न मस्जिदों के बाहर बांटे गए। शरबत बांटने में मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी, हाफिज रहमत अली निजामी, कारी मुहम्मद अनस रजवी, मुहम्मद इजान, जैद, रुशान, जीशान, अलीशान, फजल, शाहनवाज, सैयद शम्स आलम, मेराज, रहमत अली, जैब, आतिफ, शहाबुद्दीन आदि ने महती भूमिका अदा की। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में गौसे आजम फाउंडेशन ने कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी की। इस दौरान फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, मौलाना महमूद रजा कादरी, हाफिज अरीब खान, हाफिज सरफराज, हाफिज अशरफ रजा, आदि मौजूद रहे। मदरसा अंजुमन इस्लामिया खूनीपुर के पास अल मुस्तफा कमेटी के मुहम्मद शुएब, आमिर, सदफ, जीशान, अयान, सोनू, नदीम मिन्हाज ने सैकड़ों राहगीरों में ठंडा शरबत बांटा।
वहीं मस्जिदों में जुमा की तकरीर में हजरत उमर रदियल्लाहु अन्हु व इमाम हुसैन की जिंदगी व शिक्षाओं पर रोशनी डाली गई। सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद ने कहा हजरत सैयदना उमर पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से हैं। आप मुसलमानों के पहले खलीफा हजरत सैयदना अबू बकर रदियल्लाहु अन्हु के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गए। पैगंबरे इस्लाम ने आपको फारूक (सही व ग़लत में फ़र्क करने वाला) की उपाधि दी। पैगंबरे इस्लाम के उम्मतियों में आपका रुतबा हजरत अबू बकर के बाद आता है। हजरत उमर जब खलीफा हुए तब एक नये दौर की शुरुआत हुई। दीन-ए-इस्लाम का खूब विस्तार हुआ। हजरत उमर की अदालत (न्यायप्रियता) जग जाहिर है। हजरत उमर अहले बैत से बहुत मुहब्बत करते थे। आपकी शहादत 1 मुहर्रम 24 हिजरी को हुई।
मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद ने कहा कि हजरत उमर ने सन् हिजरी इस्लामी कैलेंडर का निर्माण किया। हजरत उमर असाधारण इच्छा शक्ति, बुद्धि, राजनीतिक, निष्पक्षता, न्याय और गरीबों और वंचितों लोगों के लिए देखभाल के लिए अच्छी तरह से जाने जाते हैं।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मौलाना महमूद रजा ने कहा कि हजरत सैयदना उमर के बारे मे यूरोपीय लेखकों ने कई किताबें लिखी हैं तथा ‘उमर महान’ की उपाधि दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच. हार्ट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘दि हन्ड्रेड’ में हजरत उमर को शामिल किया है।
सब्जपोश हाउस मस्जिद के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक शाम काबा के पास जाकर अल्लाह से दुआ की कि या अल्लाह उमर को या अबू जहल दोनों में से जो तुझको प्यारा हो हिदायत दे। यह दुआ हजरत उमर के हक में कबूल हुई। हजरत उमर इस्लाम में दाखिल हो गये। मुसलमानों में खुशी की लहर दौड़ गई।