बाराचट्टी:प्रखंड कार्यालय में पदाधिकारियों के आने का कोई समय-सीमा नही
स्पॉट जांच में 11:30 बजे प्रखंड में एक भी पदाधिकारी नही पाए गए उपस्थित
ठंड का प्रभाव या अधिकारियों के लापरवाही का
रिपोर्ट: विनोद विरोधी
गया, बिहार
जिले के बाराचट्टी प्रखंड मुख्यालय में पदाधिकारियों के कार्यालय आने का कोई समय-सीमा नही है।भले प्रखंड के दूरस्थ इलाकों से ग्रामीण जनता यहां तक की महिलाओं भी अपने समस्याओं को लेकर ससमय पहुंच जा रहे है,लेकिन पदाधिकारियों का कोई समय नहीं हैं। दरअसल सोमवार को इस संवाददाता ने प्रखंड पदाधिकारी के कार्यालय के स्पॉट वेरिफिकेशन के लिए दिन के 11:25 में प्रखंड मुख्यालय के प्रखंड आपूर्ति कार्यालय पहुंचा, जहां ताला जड़ा हुआ था।यहां के कार्यालय में पदाधिकारी तो नदारद थे ही,साथ ही ऑपरेटर भी नदारद थे।इस संबंध में उनसे इतने समय तक कार्यालय नही आने के कारण पता करने और उनका पक्ष लिखने के लिए दूरभाष पर संपर्क किया लेकिन संपर्क नही हो सका। तत्पश्चात अंचल कार्यालय को देखा जहां अंचल के प्रधान सहायक अनिल कुमार अपने विभागीय कार्य करते दिखे।साथ ही अंचलाधिकारी के बारे प्राप्त जानकारी के अनुसार बोधगया प्रखंड के अतिरिक्त प्रभार में हैं। इस दौरान आगे बढ़ने पर आरटीपीएस कार्यालय में कृष्ण कुमार कार्य करते पाए गए।वही प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय में ताला तो खुला हुआ था,परंतु बीडीओ अभिषेक कुमार आशीष नही आए हुए थे।वही नाजीर का कार्यालय में ताला लगा हुआ था। इस संबंध में बीडीओ अभिषेक कुमार आशीष से दूरभाष पर संपर्क किया जिसपर उन्होंने कहा कि उसके तुरंत बाद आए थे। हालांकि उन्होंने कारण का कोई जिक्र नहीं किया।वही पंचायती राज का कार्यालय खुला था पर बीपीआरओ नही आए हुए थे। सीडीपीओ के कार्यालय में कर्मी राहुल कुमार कार्यरत थे यहां सीडीपीओ भी नही थी। जिसपर उनका कहना है कि क्षेत्र में पोषाहार वितरण हो रहा है इसी कारण क्षेत्र भ्रमण पर थे। इस समय तक 11:30 बज गया था जिसके बाद पास के मनरेगा कार्यालय में ऑपरेटर अफरोज आलम और बीएफटी हेमंती कुमारी मौजूद रहे। वही कृषि विभाग में प्रखंड कृषि पदाधिकारी नदारद थे। जिसपर उनका कहना है कि जाम लगने के कारण लेट हो गया। इधर प्रखंड में अपने कार्य को लेकर आए लोगों ने कहा -जब पदाधिकारी ही समय पर कार्यालय नही पहुंच रहे तो फिर क्षेत्र के समस्या का निराकरण और विकास कैसे होगा? सवाल है सूबेमें पड़ रही ठंड का प्रभाव है या फिर अधिकारियों की लापरवाही का?