संतकबीर की धरती से शबरी का विमोचन।
संतकबीरनगर, उत्तर प्रदेश ।
अंकुर साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था संतकबीरनगर द्वारा आज जनपद के वरिष्ठ कवि अवधेश पाण्डेय जी के खंडकाव्य "शबरी" का विमोचन मुख्य अतिथि महंत विचारदास द्वारा किया गया। विचारदास जी ने विमोचन उपरांत कहा कि शबरी वर्तमान समाज की आवश्यकता के अनुरूप है, समाज में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने का प्रयास हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बलराम कुमार मणि त्रिपाठी ने बताया कि शबरी भावनाओ की पूंजी हैं और भावनाओ को धन से नहीं आंका जा सकता है। अंकुर संस्था का गठन ही साहित्य समाज और संस्कृति के उन्नयन के साथ शुरू हुआ था जिसकी एक प्रतिध्वनि है- शबरी। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ सुधांशु अरुणाभ मिश्र द्वारा अतिथियों के माल्यार्पण से होता हैं,इसी क्रम में माल्यार्पण अतिथियों को अंग्रवस्त्र प्रदान किया गया। डॉ अमर नाथ पाण्डेय,सदस्य अंकुर संस्था द्वारा ससम्मान श्री अवधेश पाण्डेय जी को समर्पित अभिनंदन पत्र पढ़कर प्रदान किया गया।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ सूर्यनाथ पाण्डेय ने खण्डकाव्य शबरी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह श्री पाण्डेय के काव्य साधना का प्रतिफल हैं। एक उपेक्षित पात्र को नायकत्व प्रदान कर श्री पाण्डेय ने अपने कवि कर्म का परिचय दिया है। इस खण्ड काव्य द्वारा उन्होंने बताया कि जो ईश्वर सबको मार्ग दिखाता है शबरी ने उस ईश्वर का मार्गदर्शन किया। अवधेश पाण्डेय ने इस अवसर पर बताया कि यह काव्य लिखने की प्रेरणा उन्हें स्व डॉ रामनारायण पाण्डेय जी से प्राप्त हुई। शबरी के ऊपर लिखना सिर्फ भावना का विषय है क्योंकि शबरी को बुद्धि से नहीं समझा और पढ़ा जा सकता हैं।
पुस्तक की समीक्षा नगर के प्रबुद्ध लोगों के द्वारा किया गया जिसमें सर्वप्रथम हीरालाल त्रिपाठी ने शबरी खण्डकाव्य का परिचय देते हुए कहा कि शबरी भगवान को उनके ईश्वरत्व तक पहुचाने का सेतु हैं।
डॉ अरविन्द प्रबोध मिश्र ने कहा कि शबरी के प्रेम ने राम को रामत्व प्रदान किया है। उसने दिखा दिया है कि यदि आपका प्रेम शुद्ध है तो ईश्वर स्वत: भक्त के पास आता है।
डॉ मनोज कुमार शुक्ल ने बताया कि शबरी खण्डकाव्य द्वारा श्री अवधेश जी ने पुत्रों को माँ से मिलाने का अनूठा कार्य किया है। प्रोफेसर विजय कृष्ण ने कहा कि शबरी खण्डकाव्य पाण्डेय जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की एकता का काव्य हैं। आप वाणिज्य क्षेत्र से जुड़े होने के बावजूद साहित्य पर कितनी पकड़ रखते हैं यह काव्य उसका उदाहरण है। प्रो दिग्विजय नाथ पाण्डेय ने बताया कि शबरी खण्डकाव्य सामाजिक विकृतियों को दूर करने में सक्षम बनेगा। यह काव्य आज की आवश्यकता के अनुरूप तैयार किया गया है।
इस अवसर पर काव्यपाठ का आयोजन किया गया जिसमें कुतुबदिन सारिक ने "मेरी माँ की दुआ की वजह से तेरी सब बद्दुआ मर चुकी हैं" ग़ज़ल का पाठ किया। इसी क्रम में पवन कुमार सबा ने "प्यार तो दिल ने कर ही लिया है,प्यार कहीं बदनाम न हो जाए" गीत का, नबी करीम ने भोजपुरी गीत " एक बेरी फेरी अउते बचपनवा" प्रस्तुत किया। इसी क्रम में डॉ अमर नाथ पाण्डेय ने "पंक में रहकर पंकज बनकर",डॉ ऋषि कुमार त्रिपाठी ने संविधान पर केंद्रित कविता, शिव कुमार सिंह ने अपने गीत और भजन द्वारा कार्यक्रम को रंग प्रदान किया। डा. हरिशरन दास शास्त्री,नबी करीम और उनके साथियों ने कबीर भजन एवं भक्ति गीतो द्वारा कार्यक्रम को जीवंतता प्रदान किया। संस्था के अध्यक्ष डॉ नितेन्द्र शुक्ल ने शबरी के कुछ अंशों का पाठ करके काव्य की महत्ता को परिभाषित किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ सूर्यनाथ पाण्डेय ने किया।
, राष्ट्रीय समन्वय समिति के प्रांतीय संयोजक अखिलेश्वर धर, प्राचार्य डा प्रमोद कुमार त्रिपाठी आदि मौजूद रहे