जलसा-ए-ग़ौसुलवरा में हुई इल्म, हक़, मोहब्बत व अमन की बात।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
अंसार नौजवान कमेटी की ओर से रसूलपुर छावनी गोरखनाथ में 40वां सालाना जलसा-ए-गौसुलवरा हुआ। उलमा किराम ने पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व गौसे आज़म हजरत शैख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की शिक्षाओं पर रोशनी डाली।
मुख्य अतिथि संतकबीरनगर के मुफ्ती अख्तर हुसैन अलीमी ने कहा कि कुरआन की पहली आयत का नुजूल लफ्ज़े 'इक़रा' से हुआ हैं यानी पढ़ो। दीन के इल्म से दिल को रोशनी मिलती है। इल्म से दूरी या इल्म वालों से नफरत और पढ़ने लिखने से दूरी इंसान को हलाकत तक पहुंचा देती है। इस्लामी तहजीब में वही सच्चा मुसलमान है जो कुरआन-ए-पाक और हदीस-ए-पाक सीखे और सिखाए।
अध्यक्षता करते हुए मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी कहा कि हजरत शैख अब्दुल कादिर जीलानी ने पूरी ज़िंदगी अल्लाह और उसके पैग़ंबर के बताए रास्ते पर चलने की फिक्र, लोगों से सलीके से मिलना, सभी का ख्याल रखना, शरीअत की पाबंदी में गुजारी। शैख अब्दुल कादिर ने अमानतदारी, वादा पूरा करना, झूठ से बचने, दूसरों के हुकूक का ख्याल, मां-बाप की खिदमत, उस्ताद की फरमाबरदारी का पैग़ाम दिया।
विशिष्ट अतिथि कारी मो. अनस रजवी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम ने लोगों को मोहब्बत का पैग़ाम दिया है। दीन-ए-इस्लाम जोड़ता है, सबका भला चाहता है। मुसलमान अमन का पैरोकार है वो दुनिया में अमन चाहता है। अगर कामयाबी चाहिए तो पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका व रास्ता अपनाओ, उनकी फरमाबरदारी और पैरवी करो। जो अल्लाह और उसके पैगंबर की फरमाबरदारी करेगा उसे बहुत बड़ी कामयाबी मिलेगी।
क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत मौलाना शादाब अहमद ने की। नात कफील अहमद व कासिद रजा इस्माईली ने पेश की। अंत में सलातो सलाम पढ़कर अमनो सलामती की दुआ मांग शीरीनी बांटी गई। जलसे में इश्तियाक अहमद, इशराक अहमद, मासूक अहमद, सगीर अहमद, मौलाना अब्दुल खालिक, अब्दुर्रहीम, इरशाद अहमद, सैयद नदीम अहमद आदि मौजूद रहे।