लोक परंपरा के संवर्धन व संरक्षण की जरुरत - प्रो. महेश्वर
पंक्तिपावन सम्मेलन में प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
हमारे भारतीय संस्कृति की लोक परंपरा को संवर्धन एवं संरक्षण की जरुरत है।इसके बहुत से वैज्ञानिक लाभ भी है।यह बाते प्रोफेसर महेश्वर मिश्र ने कही।
वह पंक्तिपावन उत्थान न्यास के तत्वावधान में नंदापार में आयोजित पंक्तिपावन विद्वत सम्मेलन व प्रतिभा सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।सांची विश्वविद्यालय
के डॉक्टर शशिकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता है यज्ञोपवीत संस्कार के बाद ही द्विज कहलाने का अधिकारी बना जाता है।
डॉक्टर नीलकांत मणि त्रिपाठी एवं सुशील राम त्रिपाठी ने कहा की हमें अपने अच्छे कर्मों से अपनी पहचान बनानी होगी। प्राचार्य डॉ राजेंद्र शुक्ला ने उपनयन संस्कार के महत्व एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। अरुणेश राम त्रिपाठी एवं गिरीश चंद्र पांडे ने कहा कि बच्चों का उपनयन संस्कार 15 वर्ष के अंदर कर देना चाहिए । कार्यक्रम के आरंभ में घनश्याम मणि त्रिपाठी ने भजन सुना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया ।कार्यक्रम के आयोजक दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉक्टर विकेश राम त्रिपाठी ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम में सहजनवां के विधायक प्रदीप शुक्ल,उत्तर प्रदेश सरकार के अपर स्थाई अधिवक्ता विवेक शुक्ला, गोपाल जी राम त्रिपाठी ,डॉक्टर ज्ञानेश्वर त्रिपाठी, राजन राम त्रिपाठी, उत्कर्ष त्रिपाठी, अविकल त्रिपाठी, वन्माली शुक्ल डॉ ,विनय मिश्र, प्रमोद शुक्ला सहित बहुत से लोग मौजूद रहे।