ज़रूरतमंदों की मदद करने का जज़्बा पैदा करता है माह-ए-रमज़ान - मुफ़्ती-ए-शहर
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मुफ़्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में माह-ए-रमज़ान और उसमें रखे जाने वाले रोजों की बहुत अहमियत है। आम तौर पर लोग इस माह-ए-रमज़ान को रोजे रखने और तरावीह पढ़ने का महीना समझते हैं जो सही भी है कि इस महीने में खास तौर पर यह काम किए जाते हैं। मगर इस मुक़द्दस महीने की इन कामों के अलावा भी बहुत सी खूबियां हैं जिन पर हम तवज्जो नहीं देते। कुरआन व हदीस और हमारे इमामों और बुजुर्गों ने बताया है कि सामाजिक बुराइयों के खात्मे, आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने, गरीबों, यतीमों, बेवाओं की मदद करने, बेरोजगारों को रोजगार के अवसर देने, गरीब छात्रों की शिक्षा के क्षेत्र में मदद करने, गरीब बच्चियों की शादी कराने में आर्थिक मदद देने और उनके उत्थान में रमज़ान का यह महीना अहम किरदार अदा करता है।
----------------