राष्ट्र सेवा दल,बिहार शाखा की ओर से "आजादीआंदोलन और हम "शीर्षक पर चर्चा का हुआ आयोजन।
ब्यूरो चीफ़ शहाबुद्दीनअहमद
बेतिया, बिहार।
राष्ट्र सेवा दल बिहार शाखा की आवश्यक बैठक,पटना गांधी संग्रहालय में,आजादी आंदोलन और हम शीर्षक से एक गोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसमें राष्ट्र सेवा दल की परंपरा के अनुसार, झंडा वंदन और राष्ट्रगान से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता,बिहार राष्ट्र सेवा दल के कार्यअध्यक्ष, उदय ने की। राष्ट्रगान से कार्य चर्चा की शुरुआत करते हुए उदय ने कहा कि आजादी आंदोलन भारतीय इतिहास का माइल स्टोन है।यही कारण है कि कुछ संगठन आजादी आंदोलन को ही गैर जरूरी करार दे रहे हैं,लोकतंत्र, समाजवाद,सर्वधर्म सम्भाव, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और राष्ट्रवाद ये आजादी आंदोलन से उपजे मूल्य हैं,जो हमारे संविधान में परिलक्षित हुए हैं।यथास्थितिवादी इन मूल्यों को मटियामेट करने के लिये आजादी आंदोलन और इनके नायकों को शातिराना तरीके से खारिज करने पर तुले हुए हैं,जाहिर है हम अगर आजादी आंदोलन और उसके मूल्यों के पैरोकार हैं तो उसकी न केवल हिफाजत करनी होगी, बलकि उसका संवर्धन भी करना होगा,हम के साथ व्यक्ति,संगठन जुड़ा हुआ है।राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीयसंगठक,शाहिद कमाल ने उपस्थित लोगों की के बीच अपने वक्तव्य में कहा कि आजादी आंदोलन में विशेषकर1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सबसे अधिक सक्रियता समाजवादियों ने दिखाई थी,ऐसे माहौल में यह हमारी जिम्मेदारीअधिक बढ़ गई है।पूंजीवाद का भयावह चेहरा सामने आ चुका है,विषमता की खाई काफी चौड़ी हो गई है। 10% लोगों के पास ही देश का 57 % आय है।राष्ट्र सेवा दल की स्थापना बच्चो,किशोर,किशोरीयों में इन मूल्यों की स्थापना के लिये हुई है।भारत में राष्ट्रवाद का उदय आजादी आंदोलन में ही हुआ था। राष्ट्रवाद समावेशीकरण का उत्कर्ष है,आजादी आंदोलन में सभी तबके के लोग शामिल हुए थे,सर्वधर्म समता राष्ट्रीवाद का सूत्र बना।राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह कार्यक्रम के मुख्य वक्ता,नितिन वैद्य ने भी उपस्थित लोगों के बीच अपने वक्तव्य के माध्यम से कहा कि आजादी आंदोलन के मूल्य स्वतंत्रता, समता,बंधुता के मूल्य हैं। हमारा संविधान हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की उपज है। राष्ट्र सेवा दल का भारत को एक राष्ट्र के रूप में निर्माण में महती भूमिका रही है। राष्ट्र सेवा दल से ही पंथनिरपेक्षता,जाति मुक्ति और जेंडर समता का आंदोलन है।
उन्होंने केंद्र के वर्तमान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमें धमकाने वाला राम नहीं, गांधी और लोहिया के सौम्यता वाले राम की खोज करनी है।
कार्यक्रम में,चर्चा का विशेष रूप से विषय रहा "आजादीआंदोलन के मूल्य और हम"।सम्मेलन में बिहार के भागलपुर,पश्चिम चम्पारण, समस्तीपुर,गया,पटना, पूर्णिया,बांका,मुंगेर,लखीसराय, मुजफ्फरपुर,कटिहार आदि जिलों से सैकड़ों की संख्या में प्रतिनिधि भाग लिए। कार्यक्रम को रघुपति, रुपेश,कारु भाई,यास्मीन बानो, इंद्ररमन उपाध्याय,डाअनील कुमार राय,ई.सार्थक भारत, रविन्द्र कुमार सिंह सहित कई गांधीवादी विचारक ने संबोधित किया। लाडली,उजमा और दीपप्रिया के गीत माहौल को खुशनुमा बना दिया,साथ ही इसमें नई ऊर्जा से जागृत कर दिया, महिला प्रतिनिधियों में उज़्मा , दीपप्रिया,लाडली राज,रेहाना खातुन,दिव्या कुमारी,कल्याणी कुमारी,नाज परवीन,राधा , ललिता कुमारी,नेहा कुमारी,रीता कुमारी,विभा कुमारी,अंजु कुमारी की उपस्थिति सराहनीय रही। कार्यक्रम कीअध्यक्षता,राष्ट्र सेवा दल के राज्य कार्याध्यक्ष,उदय तथा संचालन का कार्य की जिम्मेवारी अभय कुमार अकेला ने संभाला। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन,राष्ट्र सेवा दल के राज्य सचिव,रविंद्र कुमार सिंह ने किया।