पूर्व राज्यपाल हाथों बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में सम्मानित हुये वैशाली साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष शशि भूषण
सम्मेलन के ४३वें महाधिवेशन की सफलता के उपलक्ष्य में नृत्य-गीत-संगीत के साथ मनाया गया आनंदोत्सव
रिपोर्ट- मोहम्मद आसिफ अता
पटना, हाजीपुर(वैशाली) बिहार
हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा बनाए जाने के आंदोलन को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से प्रचूर बल मिल रहा है। सम्मेलन द्वारा विगत वर्षों में आयोजित हुए महाधिवेशनों के माध्यम से इस आंदोलन का आरंभ हुआ और अब यह राष्ट्रीय-स्तर पर गंभीर चिंतन का विषय बन चुका है। इससे आशा बँधती है कि हिन्दी शीघ्र ही भारत की राष्ट्रभाषा घोषित होगी।यह बातें सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने साहित्य सम्मेलन में आयोजित 'आनंदोत्सव-२०२५' का उद्घाटन करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि साहित्य सम्मेलन ने अपनी स्थापना के काल से ही भारतवर्ष में हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में ऐतिहासिक महत्त्व के कार्य किए हैं।सम्मेलन के विगत ४३वें महाधिवेशन की अपार सफलता के उपलक्ष्य में आयोजित इस आनंदोत्सव में पूर्व राज्यपाल ने सम्मेलन की कार्यसमिति और अधिवेशन की स्वागत समिति के सदस्यों को, विदुषी आचार्या कृष्णा सिंह की स्मृति में 'सम्मेलन-गौरव', 'सम्मेलन मार्तण्ड',सम्मेलन-सिरध्वज', 'सम्मेलन-सुधा', 'सम्मेलन-प्रभा' और 'सम्मेलन-प्रकाश' उपाधियों से सम्मानित किया।वैशाली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के चर्चित युवा अध्यक्ष डॉक्टर शशि भूषण कुमार जी को पूर्व राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद जी के हाथों आचार्या कृष्णा सिंह की स्मृतिमें'सम्मेलन-प्रकाश-सम्मान' से विभूषित किया गया।यह सम्मान इन्हें 43 वे महाधिवेशन में स्वागत समारोह के महासचिव के रूप में अति महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रदान किया गया है। ज्ञातव्य है कि डॉक्टर कुमार पिछले 2011 से ही बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से जुड़े हुए है। वर्ष 2012 से 2015 तक वैशाली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री एवं वर्ष 2016 से लगातार वैशाली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पद को सुशोभित करते हुए पटना के बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में होने वाले सभी महत्वपूर्ण आयोजनों में इनकी भूमिका सराहनीय एवं प्रशंसनीय रहा है।समारोह में पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद,सम्मेलन के उपाध्यक्ष जिया लाल आर्य एवं सम्मेलन के अध्यक्ष डाक्टर अनिल सुलभ उपस्थिति थे।आनंदोत्सव के स्वागताध्यक्ष डाक्टर कुमार अरुणोदय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह उत्सव उनके सम्मान के लिए आयोजित किया गया है, जिन्होंने सम्मेलन के विगत अधिवेशन को राष्ट्रव्यापी बनाने में अपना पूरा मन-प्राण लगाया।सम्मेलन प्रायः ही देश भर के विद्वानों और विदुषियों का सम्मान करता है,किंतु अपनी ही कार्यसमिति और स्वागत समिति की सेवाओं का सम्मान नहीं कर पाता था।इसीलिए उनके सम्मान का अवसर बनाने हेतु यह उत्सव आयोजित किया गया है।धन्यवाद-ज्ञापन डा कल्याणी कुसुम सिंह ने किया। दोपहर के सह-भोज के पश्चात सम्मेलन के कला-विभाग और सांस्कृतिक-संस्था 'प्रांगण कला केंद्र' की ओर से सोमा चक्रवर्ती के निर्देशन में एक रंगारंग सांस्कृतिक-कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद सम्मेलन की उपाध्यक्ष डाक्टर मधु वर्मा की अध्यक्षता में एक भव्य कवि-सम्मेलन भी संपन्न हुआ।जिसमें सम्मानित हुए कवियों और कवयित्रियों के अतिरिक्त वरिष्ठ कवि डाक्टर रत्नेश्वर सिंह, डाक्टर जंग बाहादुर पाण्डेय,शशिभूषण सिंह,आरपी घायल, प्रोफेसर सुधा सिन्हा, सिद्धेश्वर,अभिलाषा कुमारी,डाक्टर अलका वर्मा,डाक्टर रमाकान्त पाण्डेय,मृत्युंजय गोविंद,संध्या साक्षी, नूतन सिन्हा,सुनील कुमार,सफ़नकार शरण आर्य,सुनीता रंजन,राज प्रिया रानी,चंद्रिका ठाकुर,विनोद कुमार झा,नरेंद्र कुमार आदि ने भी अपनी रचनाओं का सुमधुर पाठ किया।सांस्कृतिक-कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों में,काजल कुमारी,कृति कुमारी, अन्नू कुमारी,मीरा कुमारी,श्रुति कुमारी, मीनाक्षी मधुश्री, निशा कुमारी तथा अतीश कुमार को दर्शकों की प्रचूर सराहना प्राप्त हुई।