मानवाधिकार एवं राज्यों की भूमिका विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन।
बड़हलगंज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां बड़हलगंज गोरखपुर में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर " मानवाधिकार एवं राज्यों की भूमिका"संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० अभिषेक पाण्डेय ने की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मानव होने के कारण मनुष्यों को जन्म जात जो अधिकार प्राप्त होते हैं । उसे मानवाधिकार के नाम से जाना जाता है। मानव व्यवहार को शास्वत नैतिक नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वियना कन्वेंशन में और संयुक्त (U.N.) राष्ट्र द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा की गई। भारत में 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना कर मानव अधिकार को सुरक्षित और संरक्षित करने का कार्य किया गया। प्रत्येक देश ने अपने संविधान के निर्माण में मानवाधिकारों को विशेष स्थान दिया जिससे उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हो सके। जिसमें जीवन, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य, भोजन, शिक्षा प्रमुख रूप से शामिल हैं। वर्तमान समय में सभ्य समाज में मानवाधिकारों के प्रति सजगता और जागरूकता लोककल्याणकारी राज्य के नीति निर्धारण का आधार स्तम्भ है।कालेज के मुख्यनियन्ता चन्द्र भूषण तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानवाधिकार प्रकृति प्रदत्त अधिकार होते हैं। ये अधिकार किसी राज सत्ता द्वारा प्रदत्त नहीं किए गए हैं। मानवाधिकार जन्म सिद्ध अधिकार होते हैं ।यह मानव होने के नाते सभी को प्राप्त होते हैं। भारतीय संविधान के भाग तीन में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के रूप में अधिक से अधिक मानवाधिकारों को सम्मलित किया गया है। जिसके अंतर्गत अनुच्छेद 21 के तहत् प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर फकरुद्दीन ने कहा कि मानवाधिकारों की संकल्पना तभी सार्थक हो सकती है जब लोगों के साथ राज्य द्वारा बिना भेद भाव किये हुए, मानवता के कल्याण के लिए कार्य किया जाय। डॉ रंगलाल पाण्डेय ने बताया कि वर्तमान समय में लोककल्याणकारी सरकार मानवाधिकार को ध्यान में रखते हुए, कानूनों का निर्माण करती है। डॉ बृजेश तिवारी ने कहा कि मानव के प्रति मानवता बरतना ही मानवाधिकार है।अवनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि असमानता को कम करने के लिए हमारे समाज में गहराई से समाएं भेदभाव को दूर कर सभी को समान रूप से जीवन की स्वतंत्रता उपलब्ध कराना है। स्वेता गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन किया । श्रुति माथुर ने पोस्टर के माध्यम से मानवाधिकारों को बेहतर तरीके से समझाने का प्रयास किया। प्रिया चौहान, चांदनी, प्रतिमा बर्मा, अंतिमा पाण्डेय, अंकित तिवारी, विकास शर्मा, विशालधर द्विवेदी,निखिल रावत और श्रेया शुक्ला आदि ने प्रतिभाग किया।