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धार्मिक / Aug 11, 2024

आज पूरी दुनिया में आला हज़रत का चर्चा है - मुफ्तिया गाजिया ख़ानम

तुर्कमानपुर में महिलाओं की दसवीं महाना दीनी महफ़िल।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की ‘बज्मे कनीजाने आयशा’ नाम से दसवीं महाना दीनी महफ़िल हुई। अध्यक्षता ज्या वारसी ने की। संचालन शिफा खातून ने किया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत अदीबा फातिमा ने की। हम्द, नात व मनकबत सादिया नूर, सानिया, शिफा नूर, सना ने पेश की। हदीस-ए-पाक आयशा फातिमा ने पेश की। 

मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया ख़ानम अमजदी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ां अलैहिर्रहमा 10 शव्वाल 1272 हिजरी यानी 14 जून 1856 को बरेली शहर में पैदा हुए। आप बहुत सारी खूबियों के मालिक थे। आप भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे मशहूर शख़्सियतों में से हैं। शायद ही कोई जगह ऐसी हो जहाँ मुसलमान आबाद हों और आपका जिक्र न हो। एक बात जो सिर्फ आपकी ही जात को हासिल है कि 200 साल में किसी भी आलिम-ए-दीन की हयात और ख़िदमात पर इतनी किताबें नहीं लिखी गई जितनी किताबें आपकी ज़िन्दगी पर लिखी गईं। जिनकी तादाद तक़रीबन 528 से ज्यादा है। जो अरबी, फ़ारसी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, पंजाबी, पश्तो, बलूची, कन्नड़, तेलगू, सिंधी, बंगला आदि भाषाओं में है। दुनिया के कमोबेश 15 से ज्यादा विश्वविद्यालय जिनमें अमेरिका, मिस्र, सूडान, भारत, बांग्लादेश आदि शामिल हैं जहां आपकी जात पर पीएचडी और एमफिल की 35 से ज्यादा डिग्रीयां मुकम्मल हो चुकी हैं।

कनीज़ फातिमा ने कहा कि आला हज़रत ने पूरी ज़िन्दगी अल्लाह व रसूल की इताअत व फरमाबरदारी में गुजारी। आला हज़रत पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर जानो दिल से फ़िदा व क़ुर्बान थे। आला हज़रत ने तेरह साल की उम्र से ही फतवा लिखना और लोगों को दीन-ए-इस्लाम का सही पैग़ाम पहुंचाना शुरू कर दिया। पूरी उम्र दीन की खिदमत में गुजारी। आला हज़रत द्वारा किया गया क़ुरआन-ए-पाक का उर्दू में तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ व ‘फतावा रज़विया’ बेमिसाल है। पैग़ंबरे इस्लाम से सच्ची मोहब्बत आला हज़रत का सबसे अज़ीम सरमाया था। आपकी एक मशहूर किताब जिसका नाम ‘अद्दौलतुल मक्किया’ है। जिसको आपने केवल आठ घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथ के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। आज पूरी दुनिया में आला हज़रत का चर्चा है। आला हज़रत को अल्लाह व पैग़ंबरे इस्लाम से सच्ची मोहब्बत और गहरा इश्क था। जिसको आपने ‘हदाइके बख्शिश’ में हम्द, नात व मनकब के जरिए बयान किया है।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली, तरक्की व अमन की दुआ की गई। शीरीनी बांटी गई। महफ़िल में में अदीबा फातिमा, शाज़िया खातून, आलिया, आयशा, मरियम, अलविया, खुशी नूर, सना खान, जैनब, फिजा, मुस्कान, तमन्ना, तैबा नूर, साईबा फातिमा, नूरजहां शरीफी, जिक्रा शेख़ आदि मौजूद रहीं।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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