महाकुंभ में मरने वाले सभी लोगों के प्रति मानवता के नाते संवेदना व्यक्त कीजिये : शोएब अहमद खान
दिल्ली पब्लिक स्कूल, कादिराबाद के निदेशक शोएब अहमद खान ने महाकुंभ में मरने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देश के उपराष्ट्रपति प्रवक्ता की तरह क़सीदे पढ़ रहे हैं। वो विफ़लता को सफ़लता में बदलना चाहते हैं जो दुखद है। वो 5 किलो राशन के लिये कतार में लगने वाली 80 करोड़ जनता को ये सुनिश्चित करवा देना चाहते हैं कि सरकार उनके साथ खड़ी है और उनके लिये काम कर रही है। देश के उपराष्ट्रपति जो संवैधानिक पद पर हैं मगर प्रवक्ता की तरह क़सीदे पढ़ रहें तो कल्पना कीजिये उस देश के लोगों की बुद्धि का स्तर किस तरह का हो चुका होगा जो इसपर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। महाकुंभ में जिन्होंने अपनों को खोया है असली दर्द तो वो जानते हैं। किसी का सुहाग उजड़ गया कोई अनाथ हो गया किसी के सर से बाप का साया छीन गया किसी बाप ने अपने जवान बेटे को खो दिया। ये वक़्त तो संवेदना व्यक्त करने का था। कोई कह रहा जो मरे उनको मोक्ष मिला है। प्रशासन का अधिकारी कहता है कि मामूली घटना है, कोई भगदड़ नहीं मची। सरकारी आंकड़े 30 पर ही अटके हैं जबकी अनुमान है कई लोग हताहत हुए और कई जगह भगदड़ मची। इन सबके बीच केंद्र सरकार ने कल बजट पेश कर दिया ताकि महाकुंभ के दर्द लोग भूल जाये। मगर एक ज़िंदादिल इंसान क्यों भूलेगा उसके दिल में मानवता के लिये अगर अभी भी थोड़ी संवेदना बची है तो वो हक़ीक़त बयान करेगा। जितने भी हमारे हिन्दू भाई इस घटना में मरे हैं उनके प्रति मेरी पूरी संवेदना है उन्हें क्या पता की व्यवस्था के हाथों उनको रौंद दिया गया। जागिये अब नींद से और जात पात धर्म की बातें छोड़कर मानवता की बातें कीजिये, नई विश्व व्यवस्था के ठीकेदारों का बहिष्कार कीजिये। नहीं चाहिए कोई मुफ़्त की रेवड़ी, बल्कि हमें वही चाहिए जो हमें संविधान देता है। अपने मौलिक अधिकारों को जद्दोजेहद कर के बचा लीजिये वरना ये दज्जाली आपकी नस्ल तबाह करने पर तो तुले हुए ही हैं।