एक बीमार को और क्या चाहिए, सिर्फ खाक-ए-दरे मुस्तफा चाहिए...
अब आखरी हसरत मदीने की जियारत है...
- शोहरा ने नातिया मुशायरे में बांधा समां-
देर रात तक जुटे रहे श्रोता और देते रहे दाद
वसीम अकरम कुरैशी
जयपुर, राजस्थान।
सेंट्रल मिलाद बोर्ड व वाहिद मेमोरियल वेलफेयर एण्ड रिलीफ सोसायटी की ओर से गत देर रात बड़ी चौपड़ पर कुल हिंद नातिया मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसमें देशभर से आए शोहरा ने नातिया कलाम पेश कर शोहरत पाई। मौलाना इस्राइल अखतर मसूदी ने अपनी निजामत से ऐसा समां बांधा जिसे सुन कर लोग झूम उठे। वहीं मुल्क भर से आने वाले शोहरा ने अपने नातिया कलाम पेश किए।
कार्यक्रम संयोजक आले रसूल अल्हाज मौलाना सैय्यद मुहम्मद कादरी के अनुसार विजय तिवारी भोपाल ने...किसी नाबीना हाजी को ये आंखे देके जाएंगे, विजय अब आखरी हसरत मदीने की जियारत है...कलाम पेश किया। वहीं सुरेन्द्र सिंह शजर देहली ने-मैंने नबी के नाम का पहना जो पेरहन,
दुश्मन के जितने वार थे सब बे असर हुए, फैज खुमार बाराबंकी ने एक बीमार को और क्या चाहिए, सिर्फ खाक-ए-दरे मुस्तफा चाहिए, महबूब अंसारी मुरादाबाद ने-ये पूछते हो के हक पर है कौनसा फिरका, चलो ये चलके करे फैसला मदीने में अशआर सुनाकर खूब दाद पाई।
इसी प्रकार शरफ नानपारवी बेहराईच ने-आप कह देंगे हुवश्शाफी तो बन जाएगी बात, आखरी सांसे बची हैं आपके बीमार में...वहीं रजा शैदाई, हाकिम अय्यूबी, मिसम भोपालपुरी, खुर्शीद हैदर आदि ने भी अपने कलाम से समां बांधा। मौलाना सैय्यद मुहम्मद कादरी ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।